सेंट्रल डेस्क: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में बढ़ते सैन्य संघर्ष और हिंसा ने दोनों देशों के रिश्तों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। इस संघर्ष में दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे की सीमाओं में घुसकर नागरिकों को निशाना बना रही हैं, जिससे युद्ध की आशंका गहरा रही है। पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान पर किए गए हमले और जवाब में तालिबान द्वारा की गई कार्रवाइयों ने हालात को और बिगाड़ दिया है।
पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक और मस्जिद पर हमला
पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान के विभिन्न इलाकों में सैन्य हमले तेज कर दिए हैं। सोमवार को पाकिस्तान की कार्रवाई में अफगानिस्तान के आठ नागरिकों की मौत हो गई, जबकि 13 अन्य घायल हो गए। यह हमला एक दिन बाद हुआ जब पाकिस्तान ने पक्तिया क्षेत्र में एक मस्जिद पर मोर्टार दागा था, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई। इस हमले ने अफगान नागरिकों को गहरे आक्रोश में डाल दिया है और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है। नागरिकों का कहना है कि पाकिस्तान की तरफ से लगातार उनके इलाके में हमले किए जा रहे हैं और आम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
तालिबान का जवाब: डूरंड लाइन पर कब्जा
तालिबान ने पाकिस्तान के हमलों का जवाब देते हुए डूरंड लाइन पर स्थित पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा कर लिया है। टोलो न्यूज के मुताबिक, तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उन्होंने पाकिस्तान की सेना की दो चौकियों को नष्ट कर दिया। तालिबान के लड़ाकों ने भारी हथियारों का इस्तेमाल करते हुए इन चौकियों को आग के हवाले कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तानी सेना के 19 सैनिक मारे गए और बाकी सैनिक भागने में सफल रहे। तालिबान ने इस दौरान गोजगढ़ी, माटा सांगर, कोट राघा और तरी मेंगल इलाकों में भी घुसपैठ की और यहां भारी गोलीबारी की।
पाकिस्तानी सेना ने कहा कि उसने उत्तरी वजीरिस्तान और खुर्रम इलाकों में घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम कर दिया है, लेकिन तालिबान की तरफ से यह जवाबी कार्रवाई पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। डूरंड लाइन पर दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पों का सिलसिला जारी है और स्थिति और भी तनावपूर्ण होती जा रही है।
डूरंड रेखा: दोनों देशों के बीच विवादित सीमा
डूरंड रेखा, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 2640 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, ने हमेशा दोनों देशों के बीच विवाद पैदा किया है। यह सीमा अफगानिस्तान के पश्तून जनजातीय इलाकों और पाकिस्तान के बलूचिस्तान से गुजरती है। इसे दुनिया की सबसे खतरनाक और विवादास्पद सीमाओं में से एक माना जाता है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह सीमा दोनों देशों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बनी हुई है, खासकर पश्तून और बलूच जनजातियों के बीच इसके विभाजन के कारण।
तालिबान द्वारा इस सीमा को पार कर पाकिस्तान में घुसपैठ करना और पाकिस्तान की चौकियों पर हमले करना इस क्षेत्र में सुरक्षा संकट को और बढ़ा रहा है। पाकिस्तान की सेना इन घुसपैठों को रोकने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, जबकि तालिबान अपनी सैन्य गतिविधियों में तेजी ला रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी ने इस संकट को और जटिल बना दिया है। अफगान नागरिकों ने पाकिस्तान के हमलों के खिलाफ वैश्विक हस्तक्षेप की मांग की है, लेकिन अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष के कारण लाखों नागरिकों की जान खतरे में है और इस क्षेत्र का भविष्य अत्यंत अनिश्चित नजर आ रहा है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य गतिविधियां और हिंसा दोनों देशों के लिए गंभीर सुरक्षा संकट पैदा कर रही हैं। डूरंड रेखा पर जारी संघर्ष और पाकिस्तान के सैन्य हमलों के जवाब में तालिबान की कार्रवाई ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है। इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की उम्मीद तब तक मुमकिन नहीं है, जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय प्रभावी कदम नहीं उठाता और दोनों देशों के बीच वार्ता का कोई रास्ता नहीं निकलता।
Read Also- Ranchi Municipal Corporation : रांची नगर निगम के 3 प्रोजेक्ट से बदलने लगी राजधानी की तस्वीर