इंदौर : देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर (मध्य प्रदेश) में आज रंगपंचमी के मौके पर पारंपरिक गेर निकाली जाएगी। विदेशों से भी लोग इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए आते हैं। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी इस रंगीन जुलूस में शामिल होंगे।
200 साल पुराना है गेर का इतिहास
इंदौर में रंगपंचमी पर गेर जुलूस का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है और यह होलकर वंश से जुड़ा हुआ है। इस साल लगभग तीन किलोमीटर लंबी गेर में लाखों लोग भाग लेंगे। इंदौर नगर निगम के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि गेर के मद्देनजर विशेष सफाई व्यवस्था की गई है।
हालांकि होली खत्म हो गई है, लेकिन इंदौर में वसंत का सबसे बड़ा उत्सव बस आने ही वाला है! शहर रंग पंचमी के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें भव्य गेर जुलूस होगा। यह कोई साधारण त्योहार नहीं है, क्योंकि गेर सड़कों को एक रंगीन, हाई एनर्जी दृश्य में बदल देता है, जिसमें ढोल की धुन, नृत्य और एक उत्साहपूर्ण माहौल होता है!
गुलाल, विशाल टैंकर, पानी की बौछार और……
उत्सव का मुख्य केंद्र शहर की धरोहर राजवाड़ा है, जो होलकर शासकों का ऐतिहासिक महल है, जहां गेर की परेड की शुरुआत होती है। जैसे ही हजारों लोग एकत्र होते हैं, हवा में गुलाल उड़ने लगते हैं और विशाल टैंकरों और मोटर पंपों से पानी की बौछारें होती हैं, जिससे भीड़ में शामिल हर कोई और छतों पर खड़े लोग भी इस रंगीन त्योहार में भीग जाते हैं।
ऐतिहासिक धरोहरों को उत्सव से पहले ढंका जाता है
पारंपरिक ढोल की थाप और जीवंत नृत्य प्रस्तुतियां उत्साह को और बढ़ा देती हैं, जब परेड सड़कों पर गुजरती है। इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे होली की परेड, ‘फाग यात्रा’ या गेर और इसका उत्सव होलकर वंश से जुड़ा हुआ है। जब शाही परिवार के सदस्य आम जनता के साथ होली खेलने आते थे और इस तरह सामाजिक भेदभाव को तोड़ा जाता था। इस दौरान राजवाड़ा स्थित महल और आसपास के सभी इमारतों को ढंक दिया जाता है, ताकि रंगों से ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान न पहुंचे।
विदेशों से भी जुटती है गेर की भीड़
शुरुआत में बैल गाड़ियों में हर्बल रंग और फूल लाए जाते थे, लेकिन आज यह उत्सव एक विशाल शो के रूप में विकसित हो चुका है। वर्षों से यह इंदौर की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना हुआ है, जो न केवल स्थानीय लोगों को बल्कि पूरे देश से आने वाले पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। अन्य शहरों और विदेश से भी लोग इंदौर आते हैं, इस भव्य गेर की परेड को देखने के लिए।

रंगों के साथ-साथ पारंपरिक भोजन का भी लुत्फ
पिछले साल की तरह, प्रशासन ने परेड मार्ग के छतों से लोगों को बेहतर दृश्य प्रदान करने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। रंगों और उत्सव के अलावा, इंदौर की प्रसिद्ध खानपान की संस्कृति भी इस अनुभव को और खास बनाती है। गेर का आनंद लेने के बाद, भीड़ सराफा बाजार और छप्पन भोग दुकानों की ओर रुख करती है, जहां वे स्थानीय व्यंजनों जैसे पोहा-जलेबी, कचौरी और खोप्रा पेटीज का स्वाद लेते हैं।
जब शहर रंगों के झंझावात में बदल जाएगा, तो यह एक ऐसा आयोजन होगा, जिसे कोई भी मिस नहीं करना चाहेगा!