पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (PMCH) को एक विश्व स्तरीय चिकित्सा संस्थान में बदलने का सपना देखा है और अब उनका यह ड्रीम प्रोजेक्ट जल्द ही साकार होने वाला है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्घाटन 25 फरवरी 2025 को किया जाएगा, जब पीएमसीएच को अपनी स्थापना के 100 साल पूरे होंगे। खास बात यह है कि इस नई बिल्डिंग के छत पर हेलीपैड का निर्माण किया गया है, जिससे गंभीर मरीजों को एयर एंबुलेंस द्वारा तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा।
पीएमसीएच का विस्तार: 5462 बेड और आधुनिक सुविधाएं
इस परियोजना के तहत पीएमसीएच की क्षमता को मौजूदा 1,700 बेड से बढ़ाकर 5,462 बेड किया जाएगा। यह परियोजना करीब 5,540 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही है और इसके माध्यम से राज्य में रोजगार के हजारों अवसर उत्पन्न होंगे। नया पीएमसीएच परिसर 72.44 लाख वर्ग फीट में फैला होगा और इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। इस परिसर में ग्रीन बिल्डिंग तकनीक, अग्नि सुरक्षा, और मेडिकल गैस पाइपलाइन जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। इसके अलावा, यहां 450 बिस्तरों वाली धर्मशाला, बिजली सब-स्टेशन और गंदे पानी के शोधन की व्यवस्था भी की जाएगी।
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल
यह परियोजना पीएमसीएच को न सिर्फ बिहार, बल्कि देश और दुनिया में भी एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र बनाएगी। जब यह अस्पताल पूरी तरह से बनकर तैयार होगा, तो यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल होगा। चीन के झेंग्झौ विश्वविद्यालय का अस्पताल 7,000 बेड्स के साथ दुनिया का सबसे बड़ा अस्पताल है, जबकि पटना का पीएमसीएच 5,462 बेड्स के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा और भारत का सबसे बड़ा अस्पताल बन जाएगा।
भारत में सबसे बड़ा अस्पताल अहमदाबाद का सिविल हॉस्पिटल है, जिसमें 2,800 बेड्स की क्षमता है, लेकिन पीएमसीएच इस आंकड़े को पीछे छोड़ते हुए एक नई पहचान बनाएगा।
नए पीएमसीएच में 29 वार्ड और अन्य सुविधाएं
नए पीएमसीएच में कुल 29 वार्ड होंगे, जिनमें से कुछ प्रमुख वार्डों में सामान्य चिकित्सा, आर्थोपेडिक्स, बाल चिकित्सा, प्रसूति एवं स्त्री रोग, और नेत्र रोग शामिल होंगे। इसके अलावा, यहां एक 487 बेड्स वाली आपातकालीन इकाई भी बनाई जाएगी, जो मरीजों को त्वरित उपचार प्रदान करेगी। इस अस्पताल में 3,435 वाहनों के लिए पार्किंग सुविधा, मेडिकल स्टाफ और छात्रों के लिए आवासीय सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।
रोजगार के नए अवसर और चिकित्सा क्षेत्र में सुधार
नीतीश कुमार की सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 4,315 नई नौकरियों के सृजन की स्वीकृति दी है। इससे बिहार में चिकित्सा क्षेत्र में सुधार आएगा और डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों की कमी को पूरा किया जा सकेगा। वर्तमान में पीएमसीएच में डॉक्टरों की लगभग 40% कमी है, जिसे जल्द ही पूरा किया जाएगा।
हेलीपैड और बेहतर कनेक्टिविटी
इस नए पीएमसीएच अस्पताल की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह होगी कि इसके रूफटॉप पर हेलीपैड का निर्माण किया जा रहा है। इससे गंभीर मरीजों को एयर एंबुलेंस द्वारा त्वरित रूप से अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा। इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी से बातचीत की जा रही है। साथ ही, अस्पताल परिसर में मेट्रो, डबल डेकर और मरीन ड्राइव की कनेक्टिविटी भी दी जाएगी, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को आने-जाने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।
इतिहास में दर्ज होगा पीएमसीएच का नाम
पटना मेडिकल कॉलेज की स्थापना 1874 में टेम्पल मेडिकल स्कूल के रूप में हुई थी और इसे औपचारिक रूप से 1925 में मेडिकल कॉलेज के रूप में स्थापित किया गया। यह भारत का छठा सबसे पुराना मेडिकल कॉलेज है, जहां बोन टीवी और कालाजार जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज की खोज की गई थी। अब, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में यह संस्थान और भी बेहतर बनने जा रहा है और बिहार के चिकित्सा क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात होगा।
भूकंप विरोधी संरचना और सुरक्षा
नई पीएमसीएच बिल्डिंग में भूकंप विरोधी संरचना का खास ध्यान रखा गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी अस्पताल की संरचना पूरी तरह से सुरक्षित रहे। डॉक्टरों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस पहल की सराहना की है और इसे पीएमसीएच को दुनिया के सबसे बड़े और उन्नत चिकित्सा केंद्रों में से एक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
स्वास्थ्य सेवा में बदलाव
नीतीश कुमार की इस पहल से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि यह पूरे राज्य और आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए एक वरदान साबित होगा। बेहतर सुविधाएं, हेलीपैड, बेहतर कनेक्टिविटी और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के साथ यह पीएमसीएच बिहार और भारत में एक नया मानक स्थापित करेगा।
Read Also- Ranchi Sadar Hospital : रांची का सदर अस्पताल बनेगा मॉडल सेंटर, लगी हाईटेक जांच मशीन