पलामू : विधानसभा चुनाव के बीच माओदियों की गतिविधियों को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रह है। कुछ दिन पहले ही जमीन में गाड़कर रखे आधुनिक हथियारों को जब्त करने में पुलिस व सुरक्षा बल के जवानों को सफलता मिली थी। अब पलामू जिले में भी माओवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे सर्च अभियान के दौरान पुलिस ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के खिलाफ चल रहे इस अभियान में माओवादी की ओर से छिपाए गए हथियार बरामद किए गए हैं। यह कार्रवाई विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच की जा रही है, जिसमें पुलिस और CRPF की संयुक्त टीम सक्रिय रूप से शामिल है।
जरदेवा पहाड़ पर गहराई में छिपाए गए थे हथियार
पलामू पुलिस और सीआरपीएफ की 93 बटालियन की एक विशेष टीम की ओर से हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के महूडंड इलाके में एंटी नक्सल अभियान का संचालन किया जा रहा है। इस दौरान, नासो जमालपुर के जरदेवा पहाड़ पर गहरे में छिपाए गए हथियारों के बारे में जानकारी मिली। यह कार्रवाई पुलिस को मिली गुप्त सूचनाओं और क्षेत्र की गहन निगरानी के आधार पर की गई।
दोनाली बंदूक और जिंदा गोलियां की गईं बरामद
पुलिस ने मौके से एक दोनाली बंदूक और दो जिंदा गोलियां बरामद की हैं, जो माओवादियों द्वारा जमीन में गाड़कर रखी गई थीं। यह स्पष्ट है कि माओवादी इन हथियारों का उपयोग स्थानीय अपराधों और हिंसा के लिए कर सकते थे, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा था।
लाखों के इनामी माओवादी कमांडरों ने छिपाए थे हथियार
पुलिस की ओर से की गई जांच में यह बात सामने आई है कि बरामद हथियार 15 लाख के इनामी माओवादी कमांडर नितेश यादव, 10 लाख के इनामी संजय यादव और ठेगन मियां द्वारा छिपाए गए थे। इस संबंध में पुलिस ने इन सभी के खिलाफ आर्म्स एक्ट और 17 सीएलए एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है। इन माओवादी कमांडरों की गतिविधियाँ स्थानीय सुरक्षा को चुनौती देती रही हैं, और इनकी गिरफ्तारी से क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी।
पुलिस की सक्रियता से विफल हो रहीं माओवादियों की योजनाएं
पलामू के पुलिस अधीक्षक रीष्मा रमेशन ने बताया कि यह अभियान चुनावी माहौल के मद्देनजर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि माओवादी अक्सर हथियारों को छिपाने के लिए जंगलों और पहाड़ों का सहारा लेते हैं, लेकिन पुलिस की सक्रियता और सर्च ऑपरेशनों के चलते उनकी योजनाएँ विफल हो रही हैं। एसपी ने यह भी बताया कि बरामद किए गए हथियार काफी पुराने हैं, लेकिन फिर भी इनका इस्तेमाल स्थानीय हिंसक गतिविधियों में किया जा सकता था।
सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर कुंदन कुमार ने किया अभियान का नेतृत्व
इस सर्च अभियान का नेतृत्व सीआरपीएफ की 93 बटालियन के इंस्पेक्टर कुंदन कुमार और चंदन सिंह चौहान कर रहे थे। इन दोनों अधिकारियों ने पुलिस बल के साथ मिलकर इलाके की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एरिया डोमिनेशन रणनीति को अपनाया। इस रणनीति के तहत, पुलिस बल ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गश्त और सर्च ऑपरेशनों को तेज किया है, जिससे माओवादियों पर दबाव बनाया जा सके।
माओवादियों की रणनीति का रखना होगा ध्यान
हालांकि पुलिस ने इस बार महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है, लेकिन नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे इस अभियान में अभी कई चुनौतियाँ बाकी हैं। माओवादी संगठनों की रणनीतियाँ अक्सर बदलती रहती हैं, और ऐसे में पुलिस को भी अपनी रणनीतियों को लगातार अपडेट करने की आवश्यकता है। पुलिस का ध्यान न केवल माओवादी कमांडरों की गिरफ्तारी पर है, बल्कि स्थानीय समुदाय के साथ संवाद स्थापित कर उन्हें नक्सलवाद के खिलाफ जागरूक करने पर भी है।
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