- संसदीय प्रक्रिया का पूरा पालन हुआ, बोले जगदंबिका पाल
नई दिल्ली : वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर संसद की संयुक्त समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए कहा कि सभी संसदीय प्रक्रियाओं का पूरी तरह से पालन किया गया है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों को चुनौती देते हुए कहा कि यदि वे यह साबित कर दें कि कोई नियम तोड़ा गया है, तो वे लोकसभा से इस्तीफा दे देंगे।
विपक्ष के असहमति नोट पर विवाद
इस विधेयक पर विपक्ष के 11 सदस्यों ने असहमति नोट दायर किए, जिसमें समिति की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए। उनका आरोप है कि रिपोर्ट को जल्दबाजी में तैयार किया गया और संसदीय नियमों का पालन नहीं हुआ। हालांकि, जगदंबिका पाल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सभी सदस्यों को पूरी प्रक्रिया में शामिल रखा गया था।
रिपोर्ट के अंतिम संस्करण में विपक्ष के असहमति नोट्स के कुछ अंश संपादित (redact) किए गए, जिसे लेकर विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर पूरे असहमति नोट को शामिल करने की मांग की। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जगदंबिका पाल ने कहा, ‘असहमति का मतलब यह नहीं कि अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया जाए। उनकी आपत्तियां रिपोर्ट में बनी हुई हैं, लेकिन आपत्तिजनक भाषा को हटाने का मुझे पूरा अधिकार है।’
‘सरकार को जबरदस्ती बिल पास कराना होता, तो सीधे संसद में लाती’
जगदंबिका पाल ने कहा कि सरकार के पास दोनों सदनों में बहुमत है, इसलिए यदि सरकार चाहती, तो सीधे संसद में बिल पास करा सकती थी। लेकिन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने पारदर्शिता के लिए इसे संसदीय समिति के पास भेजा। उन्होंने कहा, ‘हमने 15 राज्यों की सरकारों से चर्चा की और सभी हितधारकों से बातचीत की। समिति ने 111 घंटे तक गहन विचार-विमर्श किया।’
‘झूठा नैरेटिव गढ़ रहा विपक्ष’
पाल ने विपक्ष पर गलत धारणा फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘पहले दिन से ही विपक्ष यह प्रचार कर रहा है कि इस संशोधन से ऐतिहासिक संरचनाएं खतरे में पड़ जाएंगी। जबकि यह विधेयक पारदर्शिता लाने और वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए है।’ उन्होंने सवाल उठाया कि ‘कितनी विधवाओं और अनाथों को वक्फ संपत्तियों से लाभ मिल रहा है? अभी तक तो सिर्फ केयरटेकर ही इसका फायदा उठा रहे हैं।’
विपक्ष का दावा-चुनाव के मद्देनजर तैयार की गई रिपोर्ट
विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि दिल्ली विधानसभा चुनावों के चलते इस रिपोर्ट को जल्दबाजी में तैयार किया गया और सिर्फ 48 घंटे में संशोधन जमा करने का समय दिया गया। इस पर जवाब देते हुए पाल ने कहा, ‘भारत में हर महीने कोई न कोई चुनाव होता है। क्या हम चुनावी कार्यक्रम देखकर संसदीय कामकाज रोक दें?’
रिपोर्ट पेश करने में देरी क्यों?
यह रिपोर्ट 3 फरवरी 2025 को संसद में पेश की जानी थी, लेकिन 3 और 4 फरवरी को इसे टेबल नहीं किया गया। जब पाल से इस देरी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “अब यह रिपोर्ट सदन की संपत्ति है। इसे लोकसभा अध्यक्ष जब उचित समझेंगे, तब प्रस्तुत किया जाएगा।”