जमशेदपुर / रांची : झारखंड में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है। इसके साथ ही आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी तेज हो गया है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अब एक-दूसरे पर तीखे शब्दबाण चला रहे हैं। इस माहौल में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री इरफान अंसारी पर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग हो रही है। जहां एक तरफ लोकतंत्र बचाओ अभियान ने हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने इरफान अंसारी को राज्य से बाहर करने की मांग की है।
लोकतंत्र बचाओ अभियान के नेताओं का कहना है कि 23 अक्टूबर को हुसैनाबाद में हुई चुनावी सभा में हिमंता बिस्वा सरमा ने आपत्तिजनक बयान दिए थे। उनके भाषण में हुसैनाबाद गांव के नाम पर सवाल उठाते हुए मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कुछ ऐसी बातें कहीं गईं जो लोगों के बीच गलत संदेश दे सकती हैं। इस घटना को लेकर अफजल अनीस, अजय एक्का, अंबिका यादव, अमृता बोदरा, अंबिता किस्कू, और अरविंद अंजुम जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चुनाव आयोग को पत्र भेजा है, जिसमें मांग की गई है कि हिमंता के इस बयान के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
उधर, भाजपा ने ग्रामीण विकास मंत्री इरफान अंसारी के खिलाफ एक अलग ही मोर्चा खोल रखा है। पार्टी का कहना है कि इरफान अंसारी ने एक अनुसूचित जनजाति की विधवा महिला सीता सोरेन के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए हैं, जिससे आदिवासी समुदाय और अन्य विधवा महिलाओं का अपमान हुआ है। भाजपा ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 74 का हवाला देते हुए कहा है कि इरफान का यह बयान महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है, और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। भाजपा ने मांग की है कि उन्हें चुनाव में नामांकन दाखिल करने से रोका जाए और चुनाव खत्म होने तक राज्य से बाहर रखा जाए।
इन आरोपों ने झारखंड की चुनावी सरगर्मी को और बढ़ा दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन विवादों के पीछे की वजह चुनावी लाभ हासिल करना हो सकता है, क्योंकि सांप्रदायिक और सामाजिक मुद्दों को उछालकर वोट बैंक को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है। लोकतंत्र बचाओ अभियान को लगता है कि इस तरह के बयान से राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है, जबकि भाजपा इरफान अंसारी के बयान को महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बता रही है। बताया जाता है कि चुनाव आयोग पर अब इन मुद्दों पर निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई का इंतजार है। ताकि चुनावी माहौल शांतिपूर्ण और निष्पक्ष रह सके।
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