पॉलिटिकल डेस्क, नई दिल्ली: EC Guidelines: लोकसभा चुनाव होने में कुछ महीने ही रह गए हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव के लिए रणनीति तैयार करने में जुटी हुई हैं। इसी बीच चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए हैं।
चुनाव आयोग में भाषा प्रयोग पर दिए निर्देश
ऐसा पहली बार हो रहा है कि चुनाव आयोग ने भाषा के प्रयोग को लेकर पार्टियों के लिए गाइडलाइन जारी की हो। ये दिशा निर्देश मतदान निकाय ने विकलांग व्यक्तियों के लिए अपमानजनक भाषा का उपयोग करने से पार्टियों को रोकने के लिए जारी किए हैं। (EC Guidelines) चुनाव आयोग ने बताया है कि हाल के दिनों में राजनीतिक चर्चा में दिव्यांग लोगों के बारे में अपमानजनक या आक्रामक भाषा का इस्तेमाल किया गया। किसी भी राजनीतिक दल के सदस्यों या उनके उम्मीदवारों द्वारा इस तरह की बात की जाती है, तो इसे दिव्यांगजनों का अपमान समझा जा सकता है।
अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल का चलन हुआ है तेज
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने यह पहल तब की है, जब चुनावों में दिव्यांगजनों से जुड़े (EC Guidelines) अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल का चलन पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ा है। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर राजनीतिक हमलों के दौरान ऐसे शब्दों का बेधड़क इस्तेमाल करते दिखते हैं। दिव्यांगजनों ने चुनाव आयोग के सामने इन अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल की लेकर अपनी पीड़ा भी जताई थी।
प्रेस नोट में चुनाव आयोग ने दी जानकारी
अपने प्रेस नोट में चुनाव आयोग ने कहा कि हाल ही में, उसे ‘विकलांग व्यक्तियों’ (पीडब्ल्यूडी) के बारे में राजनीतिक चर्चा में अपमानजनक या आक्रामक भाषा के उपयोग के बारे में बारे में अवगत कराया गया है। (EC Guidelines) सदस्यों द्वारा भाषण/अभियान में ऐसे शब्दार्थ का उपयोग किसी भी राजनीतिक दल या उनके उम्मीदवारों को दिव्यांगों के अपमान के रूप में समझा जा सकता है।
EC Guidelines: इन शब्दों के प्रयोग पर लगी रोक
प्रेस नोट में बताया गया है कि गूंगा, मंदबुद्धि, पागल, सिरफिरा, अंधा, काना, बहरा, लंगड़ा, लूला, अपाहिज इत्यादि जैसे अपमानजनक शब्दों के प्रयोग से राजनीतिक पार्टियों को बचना जरूरी है। चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक चर्चा/अभियान में दिव्यांगों को न्याय और सम्मान दिया जाना चाहिए। आयोग विभिन्न पहलों के माध्यम से चुनावों में पहुंच और समावेशिता के सिद्धांत को बढ़ावा देने के लिए सचेत रूप से प्रयास कर रहा है। पहली बार, विकलांग समुदाय के प्रति राजनीतिक विमर्श में समावेशिता और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए आयोग ने राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधि के लिए दिशा निर्देशों जारी किया है।
दलों को इन बातों का रखना होगा ख्याल
पार्टियों को कैंपेन के दौरान स्पीच, सोशल मीडिया पोस्ट, विज्ञापन और प्रेस रिलीज को दिव्यांगों के लिए भी जारी करना होगा। (EC Guidelines) पार्टियों को अपनी वेबसाइट पर बताना होगा कि उनकी पार्टी दिव्यांगों को भी सामान्य लोगों की तरह सम्मान से देती है। चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया है कि सभी राजनीतिक दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए और अपनी वेबसाइट पर घोषित करना चाहिए कि वे विकलांगता और लिंग-संवेदनशील भाषा और शिष्टाचार का उपयोग करेंगे।
साथ ही अंतर्निहित मानवीय समानता, गरिमा और स्वायत्तता का सम्मान करेंगे। पार्टियों को अपने कार्यकर्ताओं को दिव्यांगों से संपर्क करने के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल जारी करना होगा। पार्टियों को दिव्यांगों की शिकायत सुनने के लिए अथॉरिटी भी अपॉइंट करनी चाहिए। (EC Guidelines) पार्टियों को दिव्यांग लोगों को कार्यकर्ता या मेंबर बनाना चाहिए। इससे दिव्यांगों की चुनाव में भागीदारी बढ़ेगी।
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