दुमका : झारखंड की ताजा राजनीतिक हालात में झामुमो के समक्ष अब अपने अभेद दुर्ग संताल परगना को बचाने की चुनौती सामने होगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद अगर चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री की शपथ लेते हैं तो सत्ता का केंद्र एक बार फिर से कोल्हान में शिफ्ट हो जाएगा।
ऐसे में जब लोकसभा का चुनाव बिल्कुल सामने है तो संताल परगना के अभेद गढ़ को बचाने के लिए झामुमो के समक्ष कई चुनौतियां होंगी। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की राजनीतिक सक्रियता नहीं के बराबर होने और हेमंत की अनुपस्थिति में चुनाव लड़ने की स्थिति कायम होने पर झामुमो को अपनी जमीनी ताकत पर ही भरोसा करना होगा।
झामुमो की सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने वोट बैंक को गोलबंद रखने की होगी जिस पर भाजपा की निगाह पैनी है। संताल परगना में पार्टी के अंदर चल रही विधायकों की नाराजगी को भी साधने व सबको एकजुट बनाए रखना भी कम अहम नहीं है। बोरियो के विधायक लोबिन हेंब्रम और सोरेन परिवार के अंदर की नाराजगी को पाटने की चुनौती भी है। हालांकि कभी राजमहल संसदीय सीट से चुनाव जीतकर संसद और बरहेट से विधायक रहे हेमलाल मुर्मू की घर वापसी इस नाराजगी के डैमेज कंट्रोल का हिस्सा जरूर बताया जा रहा है।
एक संसदीय सीट व 18 में नौ विधानसभा सीटों पर JMM का कब्जा
संताल परगना की 18 विधानसभा सीटों में से नौ पर झामुमो का कब्जा है। खास बात यह कि इस इलाके के सात अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटों पर झामुमो के विधायक हैं। वहीं राजमहल संसदीय सीट भी झामुमो के पास है जबकि दुमका और गोड्डा लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में है। दुमका लोकसभा सीट से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन लगातार चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन पिछले चुनाव में उन्हें भाजपा के सुनील सोरेन से हार का सामना करना पड़ा था।
ऐसे में वर्ष 2024 के चुनाव में झामुमो किसी भी सूरत में दुमका सीट पर पुनर्वापसी चाहता है। फिलहाल शिबू सोरेन राज्य सभा के सांसद हैं। अगर स्वास्थ्य कारणों से शिबू सोरेन चुनाव नहीं लड़ते हैं तो झामुमो के लिए लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर प्रत्याशी कौन होगा इस पर फिलहाल खामोशी है। इधर, गोड्डा से भाजपा के डा.निशिकांत दुबे लगातार चुनाव जीत रहे हैं। इस सीट पर भाजपा के विजय अभियान को रोकने के लिए आइएनडीआइए अभी से पसीना बहा रही है।
राहुल गांधी की तीन फरवरी को गोड्डा संसदीय क्षेत्र में भारत जोड़ो न्याय यात्रा इसी कड़ी का हिस्सा है। बहरहाल, बदले हुए राजनीतिक हालात पर सभी दलों की निगाह पैनी है लेकिन झामुमो के समक्ष अपने गढ़ को बचाने की चुनौती खास है। झामुमो के राजमहल सांसद विजय हांसदा के अलावा विधायक प्रो.स्टीफन मरांडी, नलीन सोरेन, बसंत सोरेन, सीता सोरेन, रविंद्रनाथ महतो, दिनेश विलयम मरांडी, मंत्री हफीजुल अंसारी के कांधे पर झामुमो का दारोमदार आकर टिक गया है।
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