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Demise of Pope Francise: किन 4 भारतीयों को है अगले पोप के चुनाव में वोट का अधिकार

पोप चुनने की प्रक्रिया को पैपल कॉन्क्लेव कहा जाता है, जिसमें 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल ही मतदान कर सकते हैं।

by Reeta Rai Sagar
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वेटिकन सिटी। कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वेटिकन के कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरल ने इस दुखद समाचार की पुष्टि करते हुए कहा, “आज सुबह 7:35 बजे, रोम के धर्माध्यक्ष फ्रांसिस पिता के घर लौट गए। उनका सम्पूर्ण जीवन प्रभु और चर्च की सेवा में समर्पित रहा।”

पोप फ्रांसिस का जीवन और योगदान
पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उनका मूल नाम जोर्ज मारियो बर्गोलियो था। वे पहले लैटिन अमेरिकी और पहले जेसुइट धर्मगुरु थे जिन्हें पोप चुना गया। उन्होंने वर्ष 2013 में पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे के बाद पोप का पद ग्रहण किया।
पोप फ्रांसिस ने अपने 12 वर्षों के कार्यकाल में विनम्रता, सामाजिक न्याय और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के प्रति सहानुभूति को प्राथमिकता दी। उन्होंने वेटिकन में वित्तीय पारदर्शिता और यौन शोषण के मामलों में सुधारों की शुरुआत की। पर्यावरण संरक्षण पर भी उन्होंने ज़ोर दिया, विशेष रूप से अपनी प्रसिद्ध एनसाइक्लिकल ‘लौदातो सी’ (Laudato Si’) के माध्यम से, जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध वैश्विक कार्रवाई की अपील की।

अगला पोप कैसे चुना जाएगा?
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद अब नया पोप चुनने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। इस प्रक्रिया को पैपल कॉन्क्लेव कहा जाता है, जिसमें 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल ही मतदान कर सकते हैं। इस बार कुल 138 कार्डिनल पात्र हैं जो वोट डाल सकते हैं।

कॉन्क्लेव वेटिकन के सिस्टीन चैपल में आयोजित होगा, जिसकी जिम्मेदारी कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फेरल निभाएंगे। सभी मतदान करने वाले कार्डिनल गोपनीयता की शपथ लेते हैं और बाहरी दुनिया से पूर्ण रूप से अलग कर दिए जाते हैं।

कॉन्क्लेव की प्रक्रिया
• प्रतिदिन चार बार मतदान होता है।
• दो-तिहाई बहुमत मिलने तक मतदान चलता रहता है।
• यदि किसी भी मतदान में विजेता नहीं मिलता, तो मतपत्रों को रसायनों के साथ जलाया जाता है और काले धुएं के माध्यम से संकेत दिया जाता है।
• जैसे ही कोई उम्मीदवार दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करता है, सफेद धुआं छोड़ा जाता है और “Habemus Papam” (हमें नया पोप मिला है) की घोषणा की जाती है।

भारत के चार कार्डिनल होंगे अगले पोप चुनाव में शामिल
Indian Cardinals in Papal Conclave- भारत से छह कार्डिनल हैं, लेकिन कार्डिनल जॉर्ज एलेनचेरी और कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस 80 वर्ष की आयु सीमा पार कर चुके हैं और मतदान के पात्र नहीं हैं। शेष चार भारतीय कार्डिनल इस ऐतिहासिक चुनाव में हिस्सा लेंगे:

  1. कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ
    • उम्र: 72 वर्ष
    • गोवा और दमन के आर्चबिशप
    • सामाजिक न्याय, प्रवास, पारिवारिक मंत्रालय और अंतरधार्मिक संवाद पर ज़ोर
    • 27 अगस्त 2022 को कार्डिनल बनाए गए
  2. कार्डिनल क्लीमिस बासेलियस
    • उम्र: 64 वर्ष
    • सायरो-मलांकारा कैथोलिक चर्च के मेजर आर्चबिशप
    • 24 नवंबर 2012 को कार्डिनल बनाए गए
  3. कार्डिनल एंथनी पूला
    • उम्र: 63 वर्ष
    • भारत के पहले दलित कार्डिनल
    • पिछड़े वर्गों विशेषकर बच्चों के कल्याण के लिए कार्यरत
  4. कार्डिनल जॉर्ज जैकब कूवाकड
    • उम्र: 51 वर्ष
    • सायरो-मलाबार समुदाय के आर्चबिशप
    • वेटिकन के अंतरधार्मिक संवाद कार्यालय के प्रमुख
    • 7 दिसंबर 2024 को कार्डिनल बनाए गए

पोप फ्रांसिस का निधन न केवल कैथोलिक चर्च बल्कि समूचे विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके नेतृत्व में चर्च ने अनेक सुधारों का अनुभव किया। अब पूरी दुनिया की निगाहें अगले पोप के चुनाव पर टिकी होंगी, जिसमें भारत की भूमिका भी उल्लेखनीय रहेगी।

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