जयपुर : खालसा पंथ के संस्थापक और सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस खास अवसर पर देशभर में गुरुद्वारों में विशेष सजावट की जाएगी और रागी जत्थों द्वारा कीर्तन दीवान आयोजित किए जाएंगे। संगत इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेककर अरदास करेगी, जिसमें सरबत के भले की कामना की जाएगी। इसके साथ ही पूरे दिन गुरुद्वारों में अटूट लंगर का आयोजन भी होगा।
गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व सिख धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन उनका जन्म हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह का यह कथन भी बहुत प्रसिद्ध है –
‘चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊं।
सवा लाख से एक लड़ाऊं, तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊ।।’
इस प्रेरणादायक विचार से गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी वीरता और संघर्ष की भावना को प्रकट किया था। गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 1666 में हुआ था और उनकी जयंती पौष महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।
गुरु गोबिंद सिंह और राजस्थान का गहरा नाता
गुरु गोबिंद सिंह का राजस्थान से भी एक विशेष संबंध था। राजस्थान के विभिन्न स्थानों से उनका ऐतिहासिक जुड़ाव रहा है। जयपुर से 70 किलोमीटर दूर अजमेर-दूदू रोड पर स्थित नरैना के पास सावरदा साहिब गुरुद्वारे का इतिहास रोचक है। इस गुरुद्वारे का निर्माण 1676 में हिंद की चादर, गुरु तेग बहादुर के सम्मान में किया गया था। यह निर्माण बंजारा जाति के लक्की शाह बंजारा ने किया था, जिन्होंने गुरु तेग बहादुर का दाह संस्कार किया था।
1707 में, गुरु गोबिंद सिंह ने इस गुरुद्वारे की यात्रा के दौरान बाबा कानरदास को गुरु ग्रंथ साहिब का हस्तलिखित रूप भेंट किया। जयपुर का चौड़ा रास्ता पीतलियों का चौक गुरुद्वारा भी इतिहास में महत्वपूर्ण है, जहां आज भी पुरातन गुरुग्रंथ साहिब और दशम ग्रंथ के हस्तलिखित स्वरूप मौजूद हैं। यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह के योगदान और उनके समय से जुड़े हुए कई ऐतिहासिक दस्तावेजों को संजोए हुए है।
प्रकाश पर्व की विशेष तैयारियां
गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के मौके पर राजा पार्क स्थित गुरुद्वारा में मुख्य दीवान आयोजित किया जाएगा। सुबह 4 बजे से शाम 4 बजे तक होने वाले इस दीवान में नितनेम, आसा दी वार, कीर्तन और कथा विचार होंगे। संगत इस मौके पर गुरुद्वारा में आकर शबद गायन और कीर्तन का आनंद लेगी। वहीं, रविवार को राजा पार्क गुरुनानकपुरा गुरु गोविंद सिंह पार्क में कीर्तन दरबार सजाया गया, जिसमें महेंद्र सिंह के जत्थे और स्कूल के बच्चों ने कीर्तन किया। कथावाचक गुरलाल सिंह ने संगत को गुरु गोबिंद सिंह के जीवन के महत्व और उनके बलिदान के बारे में बताया।
गुरुद्वारे में विशेष आयोजन और लंगर
संगत के लिए गुरुद्वारे में विशेष लंगर का आयोजन किया जाएगा, जो दिन भर चलता रहेगा। इसमें सभी भक्तों को श्रद्धा और सेवा भाव से भोजन प्रदान किया जाएगा। जयपुर के वैशाली नगर स्थित गुरुद्वारे में भी सुबह का कीर्तन दीवान अमृतसर से आए हरजीत सिंह के नेतृत्व में आयोजित किया गया। यहां रात्रि में कीर्तन दरबार सजाया गया, जिसमें हजूरी रागी दरबार साहिब अमृतसर और ज्ञानी सतवंत सिंह ने कथा विचार से संगत को निहाल किया।
गुरुद्वारा प्रधान सरदार सर्वजीत सिंह माखीजा ने बताया कि सोमवार सुबह सात बजे से आसा दी वार का पाठ किया जाएगा और इसके बाद कीर्तन दीवान सजाया जाएगा। इस दौरान आतिशबाजी का आयोजन भी किया जाएगा।
गुरु गोबिंद सिंह का संदेश
गुरु गोबिंद सिंह के जीवन से हमें एक सशक्त और प्रेरणादायक संदेश मिलता है। उन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने परिवार के साथ खुद को भी बलिदान कर दिया। उनका योगदान सिर्फ सिख धर्म के लिए नहीं, बल्कि मानवता के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा। उनके द्वारा स्थापित खालसा पंथ ने समाज में समानता, भाईचारे और एकता की नींव रखी। गुरु गोबिंद सिंह ने अपने अनुयायियों को हमेशा अपने धर्म के प्रति निष्ठा, शौर्य और साहस का पाठ पढ़ाया।