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प्रकृति गौ अनुसंधान केंद्र प्राइवेट लिमिटेड बना रहा जैविक खाद, पर्यावरण को होगा फायदा

by Rakesh Pandey
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राउरकेला: सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र ,एनआईटी, राउरकेला का एक स्टार्टअप ‘प्रकृति गौअनुसंधान केंद्र प्राइवेट लिमिटेड’ है। इसके मार्फत जैविक खाद और कीटनाशकों के उत्पादन हो रहा है। इसे एनआईटी के फाउंडेशन फॉर टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस इनक्यूबेशन (एफटीबीआई) सेंटर में शुरू किया गया।

स्टार्ट-अप की स्थापना नवंबर 2020 में कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी गोकुल मिंज द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के विकल्प के रूप में खेती और कृषि में गाय के गोबर और गोमूत्र जैसे जैविक उत्पादों के उपयोग से हरित प्रणाली अपनाना है ।

नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम युक्त रासायनिक उर्वरक के उपयोग से, जल, जमीन, फसल और स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को महसूस करते हुए गोकुल मिंज ने पर्यावरण-अनुकूल जैविक खाद और कीटनाशकों को अपनाया। उन्होंने और उनकी टीम ने गाय के गोबर, अन्य कार्बनिक घटकों और रॉक फॉस्फेट के विशिष्ट मिश्रण पर काम किया, जिसमें रॉक फॉस्फेट मिश्रण का केवल 8 से 10 प्रतिशत शामिल है। पौधों द्वारा 1 या अधिकतम 2 फसल में पूरी तरह उपयोग कर लिया जाता है।

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स्व-डिज़ाइन किए गए यांत्रिक उपकरण में खाद मिश्रण को आसानी से मिलाकर उपयोग के लिए दानेदार बनाया जा सकता है। मोटे तौर पर दानेदार खाद फिर एक शेपर से गुजरती है जहाँ से छोटे, सूखे और समान दाने बहार आते हैं I बिक्री के लिए पैकेजिंग के तौर पर उन्हें ‘प्रकृति संजीवनी’ के नाम से छोटे छोटे पैकेट में भरा जाता है I उनके पास प्रति माह 10 टन जैविक खाद का उत्पादन करने की क्षमता है।

‘रक्षक’ एक और जैविक कीट नियंत्रण उत्पाद है जिसे टीम द्वारा कीड़ों और कीटों को दूर रखने के लिए खेतों में अंधाधुंध उपयोग किए जाने वाले संक्षारक रासायनिक कीटनाशकों के विकल्प के रूप में तैयार किया गया है।

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