अयोध्या : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में 5 जून को राम दरबार समेत 7 मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर की जाएगी। यह अनुष्ठान स्थिर लग्न और अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11 बजे के बाद शुरू होगा। इस धार्मिक अनुष्ठान में काशी और अयोध्या से आए कुल 101 आचार्य भाग लेंगे।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बुधवार को प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित किया गया है और उन्होंने आमंत्रण स्वीकार भी कर लिया है।
3 जून से आरंभ होगा अनुष्ठान कार्यक्रम
प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान कार्यक्रम 3 जून से शुरू होगा। इससे पहले, 2 जून को महिलाओं द्वारा सरयू जल कलश यात्रा निकाली जाएगी।
3 जून: सुबह 6:30 से रात 9 बजे तक विशेष पूजा-पाठ होगा।
4 जून: इसी क्रम में विशेष पूजा संपन्न होगी।
5 जून: सुबह 5:30 बजे पूजा प्रारंभ होगी और प्राण प्रतिष्ठा 11 बजे के बाद संपन्न कराई जाएगी।
इन 7 मंदिरों में होगी प्राण प्रतिष्ठा
प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना की गई है, जबकि परकोटे में भगवान सूर्य, गणेश, हनुमान, शिव, माता भगवती और माता अन्नपूर्णा के मंदिर बने हैं। इन सभी में 5 जून को प्राण प्रतिष्ठा होगी। साथ ही, सप्त मंडपम में महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, अगस्त्य, वशिष्ठ, निषादराज, अहिल्या और शबरी की मूर्तियों की स्थापना पहले ही की जा चुकी है।
प्राण प्रतिष्ठा का होगा लाइव टेलीकास्ट
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा ताकि भक्त घर बैठे इस दिव्य अनुष्ठान का अनुभव कर सकें। हालांकि, राम दरबार और अन्य मंदिरों को भक्तों के दर्शन हेतु कब खोला जाएगा, इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। मंदिर के पश्चिमी हिस्से में लिफ्ट लगाने का कार्य जारी है, जिससे दिव्यांग और वृद्धजनों को आसानी हो सके।
अनुष्ठान के दौरान जारी रहेगा रामलला का दर्शन
यज्ञ एवं पूजा के दौरान भी ग्राउंड फ्लोर पर विराजमान रामलला के दर्शन पूर्ववत उपलब्ध रहेंगे। कार्यक्रम में CM योगी के साथ-साथ 101 आचार्य, 20 संत-धर्माचार्य, 15 गृहस्थ और ट्रस्ट के सदस्य भी भाग लेंगे।
सफेद संगमरमर से बनी हैं राम दरबार की भव्य मूर्तियां
राम दरबार की मूर्तियां मकराना के सफेद संगमरमर से बनी हैं। भगवान श्रीराम और माता सीता सिंहासन पर विराजमान हैं, उनके चरणों में भरत और हनुमान जी बैठे हुए हैं। ये मूर्तियां जयपुर में बनी हैं, जिन्हें मूर्तिकार सत्य नारायण पांडे, गोविंद, केशव समेत 5 कलाकारों ने तैयार किया है।
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