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‘राहुल’ के भक्त-चेले, जो मेरे पिता को संघी कहते हैं, प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने कांग्रेस और भाई अभिजीत पर साधा निशाना

प्रणव मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने यह कहते हुए कांग्रेस का बचाव किया था, कि 'जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, तो वह कोविड-19 का समय था। जगह-जगह बहुत सारी पाबंदियां थीं, जिसके कारण लोग इकट्ठा नहीं हो सके।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी और कांग्रेस के बीच तल्खियां बढ़ती जा रही हैं। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर उठे विवाद के बीच एक बार फिर कांग्रेस पार्टी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है।

राहुल ने पीएम को गले क्यों लगाया जब कि उनकी मां ने…..

सीधे तौर पर राहुल गांधी को टारगेट करते हुए शर्मिष्ठा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि राहुल के भक्त, चेले जो मेरे पिता को आरएसएस की यात्रा के लिए संघी कहते हैं, मैं उन्हें अपने नेता से सवाल करने की चुनौती देती हूं कि उन्होंने संसद में नरेंद्र मोदी को गले क्यों लगाया, जिन्हें उनकी मां ने ‘मौत का सौदागर’ कहा था। उनके इस तर्क के हिसाब से, राहुल को उनके साथी के रूप में देखा जाना चाहिए।

शर्मिष्ठा मुखर्जी का सवाल, बाबा की मृत्यु पर क्यों नहीं बुलाई गई बैठक

इससे पहले मुखर्जी ने अपने पिता की मृत्यु के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की कोई बैठक क्यों नहीं बुलाई गई और एक प्रस्ताव पारित क्यों किया गया, को लेकर सवाल खड़े किए थे। बता दें कि सीडब्ल्यूसी कांग्रेस की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है।

उन्होंने कहा, ‘जब बाबा का निधन हुआ तो कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी की शोक सभा नहीं बुलाई थी। एक वरिष्ठ नेता ने मुझे बताया कि यह राष्ट्रपतियों के लिए नहीं किया जाता है। यह पूरी तरह से बकवास है, क्योंकि मुझे बाद में बाबा की डायरी से पता चला कि देश के पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन की मृत्यु पर, सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश बाबा ने तैयार किया था।

मैं विवाद में नहीं पड़ना चाहती, मैं राजनीति छोड़ चुकी हूं

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का स्मारक बनवाए जाने को लेकर उठे विवाद पर मुखर्जी ने कहा कि वह विवाद में नहीं पड़ना चाहेंगी, क्योंकि अब वह कांग्रेस का हिस्सा नहीं हैं और राजनीति छोड़ चुकी हैं। बहरहाल, उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए एक स्मारक बनाए जाने की वकालत की और कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भी दिया जाना चाहिए।

क्या कहना है प्रणव मुखर्जी के बेटे का

बता दें कि डॉ मनमोहन सिंह का 27 दिसंबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था। वह 92 वर्ष के थे। मीडिया से बात करते हुए, प्रणव मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने यह कहते हुए कांग्रेस का बचाव किया था, कि ‘जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, तो वह कोविड-19 का समय था। जगह-जगह बहुत सारी पाबंदियां थीं, जिसके कारण लोग इकट्ठा नहीं हो सके। यहां तक कि दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल के प्रशासन ने परिवार के सदस्यों को भी आने की अनुमति नहीं दी थी। केवल 20 परिवार और दोस्त वहां मौजूद थे’।

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