नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम में अरविंद केजरीवाल की हार को सबसे बड़े उलटफेर के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को शिकस्त दी है। उधर, चुनाव में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन से भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली कार्यालय पर ढोल-नगाड़े बज रहे हैं। प्रवेश वर्मा पश्चिम दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। वह बीजेपी के सदस्य के रूप में दो बार सांसद रह चुके हैं। प्रवेश एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से आते हैं। वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं।
इस जीत के साथ ही प्रवेश वर्मा ने भाजपा के लिए इस सीट पर भगवा झंडा लहरा दिया है। प्रवेश वर्मा अपने कड़े बयानों और राजनीतिक नीतियों के लिए अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। आइए जानते हैं, उनके बारे में कुछ खास बातें।
प्रवेश वर्मा की शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
प्रवेश वर्मा का जन्म 7 नवंबर 1977 को दिल्ली में हुआ था। वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, जो दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम थे। प्रवेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से ही प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक (बी.कॉम) की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एमबीए की डिग्री प्राप्त की।
सियासत में कदम
प्रवेश वर्मा ने 2013 में महरौली विधानसभा सीट से दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता योगानंद शास्त्री को हराया। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के महाबल मिश्रा को हराकर संसद में अपनी जगह बनाई। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने महाबल मिश्रा को 5,78,486 वोटों के विशाल अंतर से हराया, जो दिल्ली के इतिहास में सबसे बड़े चुनावी अंतर के रूप में दर्ज किया गया।
केजरीवाल को हरा आए सुर्खियों में
दिल्ली के साथ अब देशभर में प्रवेश वर्मा की चर्चा हो रही है। ऐसा केजरीवाल को हराने के कारण हो रहा है। 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रवेश वर्मा को नई दिल्ली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। यहां उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के संदीप दीक्षित से था। इस कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, प्रवेश वर्मा ने शानदार जीत दर्ज करते हुए अरविंद केजरीवाल को शिकस्त दी, जिससे उनकी राजनीतिक सफलता की कहानी और भी मजबूत हो गई।
प्रवेश वर्मा की संपत्ति और वित्तीय स्थिति
प्रवेश वर्मा ने चुनाव आयोग में दाखिल अपने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति का पूरा विवरण दिया है। उनके पास 90 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें 77 करोड़ रुपये की चल संपत्ति और 12 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति शामिल है। उनके पास 36 लाख रुपये की टोयोटा इनोवा, 9 लाख रुपये की टोयोटा फॉर्च्यूनर और 11.77 लाख रुपये की महिंद्रा XUV जैसी महंगी कारें भी हैं। इसके अलावा, उनके पास नगदी में 2 लाख 20 हजार रुपये और अन्य संपत्ति भी है।
विधानसभा और लोकसभा में कामयाबी
प्रवेश वर्मा ने भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और उन्हें संसद में विभिन्न समितियों में सदस्य के रूप में काम करने का अवसर भी मिला है। वह संसद की वित्त समिति के सदस्य रहे हैं और संयुक्त समिति में संसद सदस्यों के वेतन और भत्तों पर भी कार्य किया है। विधानसभा और लोकसभा दोनों में अपनी सफलता के कारण, उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।
अपनी मेहनत के बल पर बनाई पहचान
प्रवेश वर्मा को हालांकि राजनीति एक विरासत के रूप में मिली थी लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत, काबिलियत से आम लोगों का समर्थन जुटाया। उनकी राजनीतिक यात्रा और उनकी सफलता से यह साफ जाहिर होता है कि वह केवल अपने परिवार के नाम पर नहीं, बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और राजनीतिक समझ के कारण राजनीति में सफल हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री रहे थे प्रवेश वर्मा के पिता
अरविंद केजरीवाल को हरानेवाले प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा 13वीं लोकसभा के सदस्य रहे है और श्रम मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्री पद पर कार्य कर चुके है। प्रवेश वर्मा के चाचा आजाद सिंह ने 2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मुंडका विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और उत्तर दिल्ली नगर निगम के मेयर भी रहे थे।
दिल्ली से हुई स्कूलिंग, 2014 में पहली बार बने थे सांसद
प्रवेश वर्मा ने अपनी पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम से की थी। उन्होंने किरोरीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर फॉर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की डिग्री प्राप्त की। प्रवेश वर्मा पहली बार मई 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे और फिर 2019 के चुनाव में पुनः निर्वाचित हुए। 1 सितंबर 2014 से वह सांसदों के वेतन और भत्तों पर संयुक्त समिति और शहरी विकास पर स्थायी समिति के सदस्य रहे हैं। उन्होंने कहा था “हम विधायक बनने पर बहुत खुश हैं। हमने हमेशा पार्टी द्वारा दिए गए पदों को स्वीकार किया है, इस बार भी हम इसे खुशी से स्वीकार करेंगे।
कम समय में बनाई अलग पहचान
प्रवेश वर्मा का जन्म 7 नवंबर 1977 को हुआ था। उन्होंने 2013 में राजनीति में कदम रखा और मेहरौली विधानसभा क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया। उनकी बेटी सानिधि ने कहा कि हम सभी बहुत खुश हैं। मैं नई दिल्ली की जनता का धन्यवाद करती हूँ जिन्होंने हमें अगले पांच साल तक सेवा करने का मौका दिया।
एक सांसद के रूप में, उन्होंने सांसदों के वेतन और भत्तों पर संयुक्त समिति के सदस्य और शहरी विकास पर स्थायी समिति के सदस्य के रूप में सेवा की है। 2019 के लोकसभा चुनावों में वर्मा ने अपने कांग्रेस प्रतिद्धंद्धी महाबल मिश्रा को 578,486 मतों के अंतर से हराया था। वर्मा ने न केवल अपना खुद का रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि दिल्ली में सबसे बड़े जीत के अंतर वाले उम्मीदवार के रूप में एक रिकॉर्ड भी स्थापित किया।
केजरीवाल को “आतंकवादी” कहने पर मचा था बवाल
विवादास्पद टिप्पणियों के लिए जाने जाने वाले प्रवेश वर्मा को 2020 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान चुनाव आयोग द्वारा 24 घंटे के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्यों कि उन्होंने दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को “आतंकवादी” कहा था।
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