नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है, जिससे यह अब नया कानून बन चुका है। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में व्यापक चर्चा के बाद पारित किया गया था। इस ऐतिहासिक बदलाव के तहत अब मुसलमान वक्फ अधिनियम 1923 को निरस्त कर दिया गया है।
नए वक्फ कानून का उद्देश्य
इस कानून का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना, दुरुपयोग और अतिक्रमण को रोकना है। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड और संबंधित हितधारकों को अधिक सशक्त और जवाबदेह बनाना भी इसके अहम पहलुओं में से है।
राजनीतिक विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
हालांकि, इस कानून का कांग्रेस, AIMIM और आप (AAP) ने विरोध किया है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह कानून पक्षपातपूर्ण है, जबकि एनडीए सरकार ने इसे पूरी तरह न्यायोचित और संविधान सम्मत बताया है।
संसद में चली लंबी बहस
बिल को पारित करने से पहले राज्यसभा में 13 घंटे और लोकसभा में 12 घंटे तक बहस चली। इसके बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा गया था, जिनके हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है और पूरे देश में लागू होगा।
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