- जातीय हिंसा के बीच मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू
- मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी 2025 को दिया था इस्तीफा
- नए मुख्यमंत्री के चयन में देरी के कारण केंद्र सरकार ने लिया फैसला
- राज्यपाल के अधीन होगा प्रशासन, विधानसभा रहेगी निलंबित
- मणिपुर में जारी हिंसा के कारण राष्ट्रपति शासन लागू
मणिपुर में पिछले एक साल से जारी जातीय हिंसा के कारण राज्य में अस्थिरता का माहौल बना हुआ था। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह पर हिंसा को नियंत्रित करने में विफल रहने के आरोप लग रहे थे, जिसके चलते उन्होंने 9 फरवरी 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि, मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद भाजपा पार्टी राज्य में नया नेतृत्व तय नहीं कर पाई, जिससे राजनीतिक संकट और गहरा गया। इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला किया।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि मणिपुर में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, जिससे राज्य की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था राज्यपाल के हाथों में आ गई है और विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।
जातीय हिंसा की पृष्ठभूमि
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच पिछले वर्ष से हिंसक झड़पें जारी हैं। यह संघर्ष मई 2023 में तब शुरू हुआ, जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग को लेकर विवाद खड़ा हुआ। इस मुद्दे ने जल्द ही हिंसक रूप ले लिया और कई जिलों में दंगे भड़क उठे।
हिंसा के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हो गए हैं। कई इलाकों में अब भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
राष्ट्रपति शासन का प्रभाव
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद:
- राज्य की सभी प्रशासनिक शक्तियाँ राज्यपाल के पास होंगी।
- राज्य की विधान सभा निलंबित रहेगी।
- केंद्र सरकार शांति बहाली के लिए कड़े कदम उठा सकती है।
- केंद्र सरकार का कहना है कि यह निर्णय राज्य में कानून व्यवस्था बहाल करने और स्थिरता लाने के उद्देश्य से लिया गया है।
भाजपा के सामने चुनौती
भाजपा को अब मणिपुर में नया नेतृत्व चुनने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। पार्टी को ऐसा नेता चुनना होगा जो दोनों समुदायों के बीच संतुलन स्थापित कर सके और राज्य में शांति बहाल करने में सक्षम हो।
विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार के लिए राजनीतिक समाधान निकालना और मणिपुर में शांति स्थापित करना सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी।
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राज्य की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा आगे की रणनीति पर जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा कब तक नया मुख्यमंत्री चुन पाती है और राज्य में सामान्य स्थिति कब तक लौटती है।