नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के कार्यालयों में प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरासमेंट ऐट वर्कप्लेस एक्ट (POSH Act) के तहत आंतरिक शिकायत समिति (ICC) बनाने की मांग पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पहले निर्वाचन आयोग का रुख करने की सलाह दी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, “राजनीतिक दलों के पंजीकरण और नियमन का अधिकार निर्वाचन आयोग के पास है। यह विषय उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। आप पहले उनकी राय लीजिए। यदि वहां समाधान नहीं मिलता, तो आप कोर्ट आ सकते हैं।”
याचिकाकर्ता की दलील
वकील योगमाया द्वारा दायर याचिका में यह मांग की गई थी कि कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी राजनीतिक दलों के लिए आंतरिक शिकायत समिति का गठन अनिवार्य किया जाए।
यह कानून पहले से ही सरकारी और निजी संस्थानों में लागू है।
याचिका में तर्क दिया गया कि इसका विस्तार राजनीतिक दलों पर भी होना चाहिए, ताकि महिलाओं के लिए एक अनुकूल और सुरक्षित वातावरण तैयार हो सके। याचिका में केंद्र सरकार और सभी राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया गया था।
निर्वाचन आयोग की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि राजनीतिक दलों के पंजीकरण और उनकी आचार-संहिता का निर्धारण निर्वाचन आयोग करता है, इसलिए यह मामला पहले उसी के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मुद्दा?
राजनीतिक दलों में महिलाओं की सुरक्षा और उनके लिए अनुकूल माहौल का निर्माण समय की मांग है। POSH Act के तहत समिति का गठन करने से:
यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
महिलाओं को राजनीतिक क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का प्रोत्साहन मिलेगा।
समानता और सम्मान का वातावरण सुनिश्चित होगा।
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