रांची : झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही यानी जून महीने तक विकास योजनाओं पर खर्च नहीं करने को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। मंत्री ने इसे सरकार की प्राथमिकताओं के विपरीत करार देते हुए बेहद गंभीर मामला बताया है।
उन्होंने राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी को एक विस्तृत पत्र लिखते हुए कहा कि कई विभागों ने जून 2025 तक विकास मद से कोई भी राशि खर्च नहीं की है, जबकि कुछ विभागों का खर्च बेहद न्यूनतम है। मंत्री ने मुख्य सचिव से आग्रह किया है कि ऐसे सभी सचिवों की बैठक शीघ्र बुलाई जाए, जिन्होंने योजनागत खर्च में लापरवाही दिखाई है।
कौन से विभाग बने चिंता का कारण
पत्र के अनुसार, कृषि, संबद्ध कृषि और पशुपालन विभाग ने 23 जून 2025 तक शून्य खर्च दर्ज किया है।
पेयजल और स्वच्छता विभाग का खर्च मात्र 0.15 प्रतिशत, पंचायती राज विभाग का भी शून्य खर्च, जबकि जल संसाधन विभाग ने केवल 14.58 प्रतिशत राशि खर्च की है। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से सरकार की विकास नीतियों को लागू करने में धीमेपन और लापरवाही को दर्शाते हैं।
कमजोर वर्गों की योजनाओं पर भी धीमी गति
वित्त मंत्री ने पत्र में यह भी लिखा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में काम कर रही इंडिया गठबंधन की सरकार राज्य में एसटी, एससी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। बावजूद इसके, इन वर्गों के लिए बनी योजनाओं में जून 2025 तक मात्र 2 प्रतिशत राशि ही खर्च की गई है, जो बेहद चिंताजनक है।
उन्होंने विभागों को निर्देश देने को कहा है कि वे योजनागत व्यय की गति को बढ़ाएं, ताकि राज्य की विकास योजनाएं धरातल पर उतर सकें।
साल के अंत में राशि पीएल एकाउंट में डालना गलत परंपरा
राधाकृष्ण किशोर ने यह भी इंगित किया कि आमतौर पर वित्तीय वर्ष के पहले आठ से दस महीनों में योजनागत व्यय की केवल 50 से 55 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाती है। वर्ष के अंतिम दो से तीन महीनों में अचानक खर्च को बढ़ाया जाता है, जिससे अक्सर राशि पीएल एकाउंट (Personal Ledger Account) में डाल दी जाती है।
उन्होंने इसे अप्रभावी और असंतुलित वित्तीय प्रबंधन करार दिया और जोर दिया कि राजस्व संग्रहण और व्यय दोनों को समयबद्ध और योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आयवृद्धि सरकार की प्राथमिकता
अपने पत्र में मंत्री ने दोहराया कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकताएं साफ हैं—ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना, झारखंडियों की आय में वृद्धि करना और क्रय शक्ति को बढ़ाना। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जब तक योजनागत खर्च समय पर नहीं होगा, तब तक इन प्राथमिकताओं को साकार करना संभव नहीं होगा।
राज्य के वित्त मंत्री की यह चिट्ठी एक सख्त चेतावनी है कि अगर समय पर योजनागत खर्च नहीं हुआ, तो न केवल सरकार की विकास योजनाएं अधूरी रह जाएंगी, बल्कि वित्तीय प्रबंधन पर भी सवाल खड़े होंगे। मुख्य सचिव और विभागीय सचिवों के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि वे खर्च की गति तेज करें और सरकार की प्राथमिकताओं को लागू करने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
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