नई दिल्ली : कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में सरकार के खिलाफ विरोध जताने का एक नया तरीका अपनाया। उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को तिरंगा और गुलाब का फूल भेंट कर अपनी नराजगी जाहिर की। यह वाकया तब हुआ जब राजनाथ सिंह संसद में प्रवेश करने के लिए अपनी कार से बाहर निकले। जैसे ही वे कार से बाहर आए, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता उनके पास पहुंचे और उन्हें तिरंगा और गुलाब का फूल भेंट किया।
अडानी मुद्दे पर सरकार की चुप्पी को लेकर विपक्ष कर रहा विरोध
यह घटनाक्रम संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ, जहां विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह अडानी समूह से जुड़े घोटाले और रिश्वतखोरी के आरोपों पर चर्चा से बचने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने इस मौके पर कहा, “हम गांधी जी के रास्ते पर चलकर संसद में सत्तापक्ष के सांसदों से यह अपील कर रहे हैं कि अडानी के हाथों देश को मत बिकने दो।” उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में लगातार इस बात की अपील कर रहा है कि संसद का कामकाज जारी किया जाए और अडानी के भ्रष्टाचार पर चर्चा की जाए।
सरकार का आरोप और विपक्ष का पलटवार
इसी दौरान, इमरान प्रतापगढ़ी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अडानी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और विपक्ष के सवालों का जवाब देने से बच रही है। कांग्रेस का यह विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है, और राहुल गांधी की यह पहल एक प्रतीक बन चुकी है कि सरकार से जवाब मांगने और संसद के महत्व को बनाए रखने की आवश्यकता है।
संसद में विपक्ष का विरोध
20 नवंबर से शुरू हुए संसद सत्र के दौरान विपक्ष ने कई मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन किया, खासकर अडानी समूह से जुड़े आरोपों के खिलाफ। कांग्रेस ने अडानी के खिलाफ आरोपों पर चर्चा की मांग की है, जबकि बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया है कि सोनिया गांधी और जॉर्ज सोरोस के बीच रिश्ते हैं, और सोरोस फाउंडेशन द्वारा फंडेड एक संगठन ने कश्मीर को भारत से अलग करने का समर्थन किया था।
उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने राज्यसभा के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए एक नोटिस दिया। विपक्ष ने उन पर उच्च सदन के अध्यक्ष के रूप में “पक्षपातपूर्ण” आचरण का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने अपनी भूमिका का सही तरीके से पालन नहीं किया। विपक्ष का कहना है कि वे संसदीय लोकतंत्र को बचाने के लिए यह प्रस्ताव लाकर एक सख्त संदेश देना चाहते हैं।
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