खूंटी/रांची : झारखंड के रांची और खूंटी प्रमंडल के जंगलों में बाघ की मौजूदगी एक बार फिर से ग्रामीणों में डर और आशंका का कारण बन गई है। लाली जंगल के पास हेसा गांव में तीन पालतू जानवर मृत पाए गए हैं, जिन्हें देख विशेषज्ञों को बाघ के हमले का संदेह हो रहा है। हालांकि, वन विभाग की ओर से अब तक बाघ की मौजूदगी की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इनकार भी नहीं किया गया है।
Lali Jungle Tiger Signs : जानवरों की मौत से फैली दहशत
तीनों जानवरों की हत्या का तरीका, उनके गले पर दांत के निशान और खून चूसे जाने की स्थिति इस ओर इशारा करती है कि हमला किसी बड़े शिकारी द्वारा किया गया है। खास बात यह रही कि जानवरों को मारने के बाद उन्हें खाया नहीं गया, जो बाघ के शिकार करने की सामान्य प्रवृत्ति से मेल खाता है।
Forest Department Investigation : मौके पर पहुंचे वन अधिकारी
सूचना मिलने पर वन विभाग के वनरक्षी मनीष कुमार, दीपक लकड़ा, गोपाल शर्मा, सुरेंद्र नायक और शेखर सुमन ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। हालांकि, बाघ के पगमार्क (पदचिह्न) नहीं मिले, लेकिन जिस प्रकार जानवरों पर हमला हुआ, उससे विशेषज्ञों को संदेह है कि यह हमला बाघ का हो सकता है।
रांची डिवीजन की रेंजर गायत्री देवी ने कहा कि पगमार्क न मिलने के कारण अभी यह पुष्टि नहीं की जा सकती कि हमला बाघ ने किया है। लेकिन, जानवरों के शवों पर दांत के गहरे निशान बाघ की ओर संकेत करते हैं। उन्होंने बताया कि शवों को दफनाया नहीं गया है, बल्कि घटनास्थल पर ही छोड़ दिया गया है, ताकि यदि शिकारी दोबारा लौटे तो उसकी पहचान की जा सके।
Surveillance Measures : लगाए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस
बाघ की उपस्थिति का पता लगाने के लिए लाली जंगल में वन विभाग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाए गए हैं। इन डिवाइसों के जरिए क्षेत्र में हो रही हरकतों पर नजर रखी जाएगी और यदि शिकारी दोबारा लौटता है, तो उसका वीडियो या फोटो रिकॉर्ड किया जा सकेगा।
एक महीने पहले भी मिले थे बाघ के संकेत
लगभग एक माह पूर्व, खूंटी प्रमंडल के बुंडू रेंज के रांची-टाटा मुख्य मार्ग के पास बाघ के पगमार्क देखे गए थे। उस समय भी बाघ के दिखाई देने की पुष्टि नहीं हो सकी थी, लेकिन वन विभाग ने कहा था कि बाघ संभवतः लाली जंगल की ओर चला गया है।
Forest Department Appeal : ग्रामीण रहें सतर्क
रेंजर गायत्री देवी ने स्थानीय ग्रामीणों से अपील की है कि वे अकेले जंगल में न जाएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत वन विभाग को दें। ग्रामीण क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर दिया गया है और वन कर्मियों की टीम लगातार निगरानी में जुटी है।