रांची : झारखंड की राजधानी रांची अब केवल अपनी हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि भगवान शिव की भक्ति के एक विशाल धार्मिक केंद्र के रूप में भी पहचानी जा रही है। स्वर्णरेखा नदी के तट पर स्थित 108 फीट ऊंचा शिवलिंग आकार का सुरेश्वर महादेव मंदिर देश का दूसरा सबसे ऊंचा शिवलिंगम मंदिर होने का दावा करता है। सावन के पावन महीने में यहां हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं।
108 फीट ऊंचे शिवलिंग आकार में निर्मित मंदिर
यह मंदिर पारंपरिक मंदिरों से भिन्न है। पूरा ढांचा शिवलिंग की आकृति में निर्मित है, जो इसे अद्वितीय बनाता है। मंदिर समिति के अनुसार, वर्ष 2012 में इसकी आधारशिला रखी गई थी और लगभग 10 वर्षों के निर्माण कार्य के बाद इसे पूर्ण स्वरूप मिला।
जब निर्माण की ऊंचाई 108 फीट तक पहुंची, तो इसे शिव के पवित्र प्रतीकात्मक अंक के रूप में मानते हुए यहीं स्थायी रूप दे दिया गया। इस ऊंचाई का एक अन्य शिवलिंगम मंदिर कर्नाटक के कोलार में भी है, लेकिन पूर्वी भारत में यह अपनी तरह का पहला और सबसे ऊंचा शिवलिंगम मंदिर माना जा रहा है।
Shivalingam Temple : सावन में भक्तों की अपार भीड़, रांची का काशी बना सुरेश्वर धाम
सावन के महीने में यह मंदिर श्रद्धा और आस्था का महाकेंद्र बन जाता है। झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और यहां तक कि नेपाल से भी श्रद्धालु यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं। भक्त स्वर्णरेखा नदी से जल भरकर मंदिर तक पहुंचते हैं और शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं।
स्थानीय श्रद्धालु इसे अब ‘रांची का काशी’ कहने लगे हैं। मंदिर परिसर में हर सोमवार को विशेष रुद्राभिषेक, भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चार का आयोजन होता है, जिससे पूरे क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
Shivalingam Temple : भक्ति, भव्यता और समाज की एकता का प्रतीक बना सुरेश्वर महादेव मंदिर
यह मंदिर न केवल भगवान शिव की भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह समाज की सामूहिक श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक भी बन गया है। यह स्थान अब सावन में शिवभक्तों की धार्मिक यात्रा का प्रमुख पड़ाव बनता जा रहा है। सुरेश्वर धाम मंदिर की भव्यता और आस्था अब रांची को धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर भी मजबूती से स्थापित कर रही है।