जमशेदपुर : ‘ग्लोबल गांव के देवता” शीर्षक उपन्यास से मशहूर हुए लेखक रणेंद्र शनिवार (19 दिसंबर) को जमशेदपुर आयेंगे। वे यहां करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में ‘आदिवासी इतिहास और साहित्य’ विषय पर विशेष व्याख्यान देंगे। रणेंद्र भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे हैं। वह खेल विभाग और रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक रह चुके हैं। वे जेपीएससी के सचिव की जिम्मेवारी भी निभा चुके हैं।
रणेंद्र ने ‘ग्लोबल गांव के देवता’ के अलावा ‘गायब होता देश’ और ‘गूंगी रुलाई का कोरस’ नामक उपन्यास भी लिखे हैं। उनके दो कहानी संग्रह ‘रात बाकी’ और ‘छप्पन छुरी बहत्तर पेंच’ तथा एक कविता संग्रह ‘थोड़ा सा स्त्री होना चाहता हूं’ भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
हिन्दी साहित्य में रणेंद्र आदिवासी जनजीवन के यथार्थ, आकांक्षा, स्वप्न और संघर्ष को चित्रित करने वाले लेखक के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें आदिवासी मामलों के गंभीर अध्येता और विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। उनकी रचनाओं का आदिवासी विमर्श में अनिवार्य रूप से उल्लेख होता है। सेवानिवृत्ति के बाद देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान के लिए उन्हें आमंत्रित किया जा रहा है। इसी क्रम में एलबीएसएम कॉलेज में वे विशेष व्याख्यान देने के लिए यहां आ रहे है।