पटना: पटना हाईकोर्ट ने पटना मेट्रो यार्ड के निर्माण को लेकर राज्य सरकार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने रानीपुर और पहाड़ी मौजे के भूधारकों की दर्जनों अपीलों को खारिज कर दिया, जो मेट्रो रेल टर्मिनल और यार्ड के निर्माण के खिलाफ दायर की गई थीं। एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इस मामले में महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए राज्य सरकार के पक्ष में फैसला दिया।
पटना मेट्रो यार्ड से संबंधित कानूनी विवाद का समाधान
मेट्रो रेल टर्मिनल और यार्ड के लिए बैरिया स्थित जमीनों को लेकर मेट्रो प्राधिकरण और भूधारकों के बीच कानूनी विवाद चल रहा था। पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को राहत देते हुए इन भूधारकों की अपीलों को खारिज कर दिया और मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया।
पुनर्वास की थी मांग
कोर्ट ने विशेष रूप से यह आदेश दिया कि रानीपुर और पहाड़ी मौजे के भूधारकों को जमीन खाली करने का निर्देश दिया जाए। इन भूधारकों ने मेट्रो रेल टर्मिनल के लिए उनकी भूमि को अधिग्रहित किए जाने के बाद पुनर्वास की मांग की थी और मुआवजे में वृद्धि का अनुरोध किया था।
मुआवजा राशि बढ़ाने की बाध्यता नहीं
इस फैसले में राज्य सरकार को एक और राहत मिली है, जिसमें सरकार को मुआवजे की राशि बढ़ाने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया। हाईकोर्ट ने अपने सिंगल बेंच के फैसले को संशोधित करते हुए, सरकार को मुआवजे की राशि को अद्यतन करने का निर्देश दिया, लेकिन इसके लिए अब यह अनिवार्य नहीं होगा कि मुआवजे को और बढ़ाया जाए।
अपील और मुआवजा पर उच्चतम अदालत की बहस
इस मामले में महाधिवक्ता पीके शाही और किन्कर कुमार ने राज्य सरकार की ओर से बहस की, जबकि भूधारकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने पक्ष रखा। भूधारकों का कहना था कि सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन पर लोग लंबे समय से बसे हुए हैं और अब उनका पुनर्वास आवश्यक है। इसके अलावा, इन भूधारकों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें भू-अर्जन प्रक्रिया के दौरान उचित समय नहीं दिया गया और निर्णय जल्दबाजी में लिया गया।
सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती
इससे पहले, दिसंबर 2023 में सिंगल बेंच के जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा ने यह आदेश दिया था कि मेट्रो रेल टर्मिनल और यार्ड की जमीन के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। हालांकि, सिंगल बेंच ने मुआवजे की राशि में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया था, क्योंकि यह पुराने सर्किल रेट पर आधारित था, जो कि वर्तमान बाजार दरों से बहुत कम था। इस फैसले के खिलाफ भूधारकों ने डिवीजन बेंच में अपील की थी, जिसमें उन्होंने यह भी अनुरोध किया था कि मुआवजे के बदले उनकी भूमि उन्हें वापस दी जाए।
भू धारकों ने कहा-सौ से अधिक परिवारों का पुनर्वास संभव नहीं
इस पूरे मामले में भूधारकों का कहना था कि इतने बड़े पैमाने पर एक सौ से अधिक परिवारों को पटना शहर में पुनर्वासित करना संभव नहीं है। उनके अनुसार, भू अर्जन प्रक्रिया में कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न समस्याओं के कारण समय पर आपत्ति दर्ज करने का अवसर नहीं मिला। इसके अलावा, 1 जून 2021 को सरकार ने सार्वजनिक रूप से आपत्तियां आमंत्रित की थीं और केवल दो दिन बाद ही इन आपत्तियों का निपटारा कर दिया, जो कि पूरी प्रक्रिया के लिए उचित नहीं था।