रांची : रिम्स की मेंटर टीम ने शनिवार को सदर हॉस्पिटल का इंस्पेक्शन किया। इस दौरान टीम ने हॉस्पिटल का कोना-कोना देखा। वहीं व्यवस्था देखकर टीम हैरान रह गई। सदर हॉस्पिटल में व्यवस्था किसी प्राइवेट हॉस्पिटल से कम नहीं थी। एडमिनिस्ट्रेशन से लेकर हाउस कीपिंग सबकुछ सिस्टम से था। वहीं मरीजों के लिए ओपीडी से लेकर जांच की व्यवस्था भी वेल मैनेज्ड थी।
इतना ही नहीं आयुष्मान भारत योजना की व्यवस्था देख टीम ने उसकी सराहना की। टीम ने कहा कि सदर हॉस्पिटल जैसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से भी रिम्स बहुत कुछ सीख सकता है। जिसका फायदा इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मिलेगा। मेंबर्स ने कहा कि मैनेजमेंट बेहतर हो सरकारी हॉस्पिटल में भी मरीजों को क्वालिटी ट्रीटमेंट मिल सकता है। बता दें कि रिम्स को राज्य में कुछ मेडिकल कालेजों के अलावा डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटलों की व्यवस्था सुधारने के लिए मेंटर बनाया गया है। जिससे कि सरकारी हॉस्पिटलों में मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सके। इसी के तहत रिम्स की टीम हॉस्पिटलों का इंस्पेक्शन कर रही है।
प्राइवेट डॉक्टर दे रहे सर्विस
हॉस्पिटल को लेकर टीम ने कहा कि यहां की सबसे अच्छा बात है कि यहां पर सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स सर्विस दे रहे है। पीपीपी मोड पर कई सुविधाएं मरीजों को मिल रही है। आखिर कुछ तो बात है जो वे अपने काम के अलावा सदर हॉस्पिटल जैसे सरकारी हॉस्पिटल में आकर मरीजों का इलाज करना चाहते है। कुछ ऐसी ही पहल रिम्स में की जा सकती है। वह भी सरकार का ही हिस्सा है। आयुष्मान योजना से मरीजों को प्राइवेट जैसी सुविधाएं सदर में ही मिल रही है। यह बड़ी बात है।
कैंपस में नहीं भटकेंगे मरीज
हॉसिपटल में विभागों को तरीके से व्यवस्थित किया गया है। हॉस्पिटल में हर जगह साइनेज लगाए गए है। सेल्प आपरेटेड कियोस्क लगाए गए है। जिससे कि इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कहीं भी भटकने की जरूरत नहीं है। उन्हें कदम-कदम पर जानकारी मिल जा रही है। ये सिस्टम भी प्राइवेट हॉस्पिटलों में देखने को मिलते है। इंफार्मेशन सिस्टम से भी मरीजों को बड़ी राहत मिलती है।
हाउसकीपिंग को बताया बेहतर
सरकारी हॉस्पिटल का नाम आते ही गंदगी की इमेज सामने आती है। लेकिन सदर हॉस्पिटल की हाउस कीपिंग की टीम ने सराहना की। टीम ने बताया कि जिस तरह से हॉस्पिटल में मरीजों की फुट फॉल है उससे गंदगी से इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन हॉस्पिटल के किसी भी कोने में गंदगी नहीं देखने को मिली। यहां तक कि लिफ्ट में भी थूंकने के निशान तक नहीं मिले। यूं कहा जाए तो मेनेजमेंट का इसमें रोल अहम है। जिससे कि हर जगह मॉनिटरिंग की जाती है।
आयुष्मान भारत का सिस्टम मॉडल
हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज सबसे ज्यादा आयुष्मान भारत योजना के तहत किया जाता है। इससे हॉस्पिटल को क्लेम मिल रहा है। क्लेम से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल हॉस्पिटल को बेहतर बनाने, इक्विपमेंट खरीदने के लिए किया जा रहा है। टीम ने बताया कि सबसे खास बात ये है कि आयुष्मान भारत के लिए मैनपावर की जरूरत है। ये सदर हॉस्पिटल में देखने को मिला। मरीजों का तुलना में स्टाफ लगाए गए है। जो बिना देर किए मरीजों का फोटो खींचने से लेकर उसकी प्रक्रिया करने में जुट जाते है। इससे भी रिम्स प्रबंधन सीख लेकर लागू कर सकता है। चूंकि वहां पर भी आयुष्मान से मरीजों का इलाज किया जाता है।
रिम्स का लोड होगा कम
हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है। रिम्स की तरह ही कई मशीनें कार्डियोलॉजी में लगाई गई है। जल्द ही कैथलैब की सुविधा भी मरीजों को मिलने लगेगी। इससे रिम्स पर मरीजों का लोड कम होगा। वहीं इंवेस्टिगेशन को लेकर भी व्यवस्था हाईटेक है। जिससे मरीजों का इलाज तत्काल हो रहा है। लक्ष्य प्रोग्राम के तहत नर्सिंग स्टाफ भी अपग्रेड है।
टीम में ये थे शामि
सर्जन डॉ पंकज वोदरा, मेडिसीन के डॉ अजीत डुंगडुंग, डॉ कृष्ण मुरारी, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत कुमार के अलावा गायनी और अन्य विभागों के डॉक्टर भी शामिल थे। वहीं सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार, सदर के डॉ अजीत, डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को-आर्डिनेटर आशीष के अलावा अन्य भी इंस्पेक्शन के दौरान टीम के साथ रहे।