रांची : सेल्फ डिफेंस की तकनीक जानना आज के समय में बहुत जरूरी है। खासकर रात में काम करने वाली वर्किंग वीमेन के लिए। कुछ ऐसी ही तकनीक राजधानी में महिलाएं सीख रही हैं। वहीं एक महिला डॉक्टर कराटे इसलिए सीख रही हैं कि वह रात को ड्यूटी कर अकेले घर लौटती हैं। डॉ.ईशा अशोक को ब्राउन बेल्ट से सम्मानित किया गया है। इंटरनेशनल मार्शल आर्ट अकादमी (इमा) द्वारा बसर टोली बहू बाजार स्थित इमा कराटे स्टूडियो में बेल्ट सेरेमनी में कराटे ग्रेडिंग में सफल रहे सभी खिलाड़ियों को उनके नए बेल्ट और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। कुल 120 कराटे खिलाड़ियों के बीच डॉ. ईशा अशोक को ब्राउन बेल्ट से सम्मानित किया गया।
रिम्स में सर्जन हैं डॉ ईशा
ईशा अशोक झारखंड के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में एक सर्जन के रूप में काम कर रही हैं। उन्होंने कराटे प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी अपनी कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की है। उन्होंने दो साल पहले इमा कराटे स्टूडियो में अपना नामांकन कराया था। डॉक्टर होने के बावजूद, उन्होंने पढ़ाई और कराटे दोनों में संतुलन बनाए रखा। इस दो साल की कठिन यात्रा के बाद ब्राउन बेल्ट प्राप्त किया।
महिलाओं का बढ़ाता है आत्मविश्वास
ईशा अशोक का मानना है कि कराटे प्रशिक्षण महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि महिला डॉक्टरों को अक्सर रात में ड्यूटी करने के बाद घर वापस जाना होता है, जिससे वे कभी-कभी डर महसूस करती हैं। लेकिन कराटे का प्रशिक्षण लेने के बाद उनका आत्मविश्वास इतना बढ़ जाता है कि वे खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं। बिना डर के अपने कार्यों को पूरा कर सकती हैं।
महिलाओं के लिए जरूरी है कराटे
इंटरनेशनल मार्शल आर्ट अकादमी के तकनीकी निदेशक शिहान सुनील किस्पोट्टा ने कहा कि आज के समय में महिलाओं को कराटे का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से लेना चाहिए। इससे न केवल उनका आत्मविश्वास मजबूत होगा, बल्कि वे किसी भी असामाजिक तत्व से अपनी सुरक्षा भी स्वयं कर सकेंगी। उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए कराटे का प्रशिक्षण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ईशा अशोक की सफलता न केवल उनके व्यक्तिगत विकास की मिसाल है, बल्कि यह महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। जो अपनी सुरक्षा और आत्मविश्वास के लिए कराटे जैसे मार्शल आर्ट्स को अपनाना चाहती हैं’।
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