रांची : झारखंड विधानसभा में मंगलवार को बजट पर चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन और योजनाओं के क्रियान्वयन में विफलता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि झारखंड में 41% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, लेकिन सरकार बजट की राशि को पूरी तरह खर्च करने में असमर्थ रही है। बाबू लाल मरांडी ने बताया कि कृषि क्षेत्र में अब तक सिर्फ 54% राशि खर्च हुई है, जबकि आईटी विभाग ने मात्र 7.45% और पेयजल विभाग ने 18.56% बजट खर्च किया है। उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “काम कीजिए, कामचोर मत बनिए। अगर पैसे खर्च नहीं होंगे और उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिए जाएंगे, तो केंद्र भी सहायता राशि नहीं देगा।”स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर भी उठाए सवालबाबू लाल मरांडी ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है। राज्य में डॉक्टरों के 3,334 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 2,210 डॉक्टर कार्यरत हैं। मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है – दुमका में 70, पलामू में 71 और हजारीबाग में 65 पद खाली हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिला अस्पतालों में ऑपरेशन तक नहीं हो रहे और गरीबों को आयुष्मान कार्ड का लाभ नहीं मिल रहा।हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने इन आंकड़ों को गलत बताते हुए कहा कि सरकार ने 50 बेड के शहरी और 30 बेड के ग्रामीण अस्पतालों का नया मापदंड तय किया है, ताकि फर्जी अस्पतालों को आयुष्मान योजना का लाभ लेने से रोका जा सके।केंद्र से बकाया राशि वसूलने के लिए ठोस रणनीति जरूरीबाबू लाल मरांडी ने राज्य सरकार के केंद्र पर 1.36 लाख करोड़ रुपये के बकाया के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को पहले CCL, BCCL जैसी कोयला कंपनियों से वास्तविक आंकड़े जुटाने होंगे। सही आकलन के बिना केंद्र से राशि वसूलने की कोई ठोस पहल नहीं हो सकेगी और सरकार सिर्फ बयानबाजी करती रहेगी।बजट भाषण पर भी राजनीति का आरोपबाबू लाल मरांडी ने सरकार पर बजट भाषण में राजनीतिक पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने झारखंड अलग राज्य निर्माण का श्रेय शिबू सोरेन और कांग्रेस को दिया, लेकिन उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम तक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि ऐसा दिखाया गया मानो अटल बिहारी वाजपेयी का झारखंड निर्माण में कोई योगदान ही नहीं था।
Budget Discussion: झारखंड विधानसभा में बजट पर हंगामा, बाबूलाल मरांडी ने सरकार को घेरा
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