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Sahitya Kala Foundation: बेहतर बनने के लिए निरंतर नए लक्ष्य निर्धारित करें : नवीन चौधरी

by Yugal Kishor
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  • साहित्य कला फाउंडेशन और जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज का संयुक्त संवाद सह कार्यशाला आयोजित,

जमशेदपुर : साहित्य कला फाउंडेशन, झारखंड और जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को संवाद एवं कार्यशाला का आयोजन किया। यह आयोजन कॉलेज के पीजी ब्लॉक स्थित स्वामी विवेकानंद सभागार में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और वक्ता के रूप में लेखक और मोटिवेटर नवीन चौधरी ने अपनी पुस्तक “खुद से बेहतर” पर चर्चा की और विद्यार्थियों को प्रेरित किया।

खुद से बेहतर बनने का संदेश

नवीन चौधरी ने अपनी पुस्तक “खुद से बेहतर” पर बात करते हुए विद्यार्थियों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने लक्ष्य को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना चाहिए। साथ ही अपनी ताकत और कमजोरी को पहचानकर उन्हें सुधारने के प्रयास करना चाहिए। चौधरी ने बताया कि खुद से बेहतर बनने के लिए निरंतर नए लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है, और एक लक्ष्य हासिल करने के बाद दूसरे लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने श्री चौधरी से सवाल भी पूछे, जिनका उन्होंने संतोषजनक और प्रेरक उत्तर दिया।

दीप प्रज्ज्वलन और उद्घाटन

कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमर सिंह, फाउंडेशन की मुख्य ट्रस्टी डॉ. क्षमा त्रिपाठी और अन्य मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई। स्वागत भाषण में डॉ. अमर सिंह ने विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक दबाव से निपटने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से डिप्रेशन से जूझ रहे विद्यार्थियों के लिए “प्लान ए और बी” की आवश्यकता पर जोर दिया।

मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण विचार

इस दौरान कॉलेज के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. संजय यादव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। शिक्षिका प्रियंका सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया। फाउंडेशन की मुख्य ट्रस्टी डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि इस प्रकार के प्रेरणादायक सत्र विद्यार्थियों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को न केवल अपने शैक्षिक जीवन, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी बेहतर बनने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यशाला और संवाद विद्यार्थियों को मानसिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से सशक्त बनाते हैं। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि इन कार्यशालाओं का उद्देश्य विद्यार्थियों में आत्मविश्वास और आत्म-निर्भरता का निर्माण करना है, जिससे वे अपनी जीवन यात्रा में हर चुनौती को पार कर सकें। कार्यक्रम में डॉ. नीता सिन्हा, प्रो. ब्रजेश कुमार, डॉ. एके रवानी, डॉ. अंतरा कुमारी, डॉ. दुर्गा तामसोय, डॉ. अनुपम, डॉ. एस. खान, डॉ. दानिश, डॉ. पुष्पा, शोभा, सबिता पॉल, डॉ. कृष्णा प्रसाद, डॉ. एके झा समेत सभी विभागों के शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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