घाटशिला : पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित घाटशिला कॉलेज और साहित्य कला फाउंडेशन के मध्य छात्र-छात्राओं को साहित्य से जोड़ने एवं व्यक्तित्व के संपूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए संवाद की प्रक्रिया में शामिल करने के उद्देश्य से एक एमओयू किया गया। इस एमओयू पर घाटशिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरके चौधरी एवं साहित्य कला फाउंडेशन की मुख्य ट्रस्टी डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किया।
प्राचार्य ने घाटशिला कॉलेज के बांग्ला विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप चंद्र को परिषद का संयोजक नियुक्त किया, जो साहित्य कला परिषद का पूर्ण गठन कर फाउंडेशन को सूचित करेंगे और विविध कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करेंगे। प्राचार्य ने कहा कि साहित्य में अभिरुचि रखने वाले सभी शिक्षकों एवं छात्रों को इसमें सम्मिलित किया जाएगा। इस अवसर पर यह तय किया गया कि वर्ष में कम से कम दो बार किसी बड़े लेखक को आमंत्रित कर उनकी लेखन प्रक्रिया और उनके पुस्तकों पर लेखक से संवाद किया जाएगा।
प्रश्नोत्तर के माध्यम से साहित्य की समझ विकसित की जाएगी। वर्ष में एक बार समेकित रूप से एक वार्षिक कार्यक्रम होगा, जिसमें अन्य महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित कर पाएंगे।साहित्य कला फाउंडेशन की मुख्य ट्रस्टी डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने साहित्य कला फाउंडेशन के गठन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह साहित्यकारों की अपनी युवा पीढ़ी से संवाद स्थापित करने की दिशा में एक प्रयास है। अगर बच्चे साहित्य से जुड़ते हैं तो निश्चित रूप से उनके व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास होगा और इसका प्रभाव समाज पर भी पड़ेगा। इससे संस्कृति को सही ढंग से समझने में भी मदद मिलेगी। साहित्य कला फाउंडेशन लेखकों को आमंत्रित करने और उनके खर्च आदि की व्यवस्था करेगी।
इस अवसर पर उपस्थित साहित्य अकादमी के पूर्वोत्तर क्षेत्र के पूर्व संयोजक डॉ. अशोक अविचल ने साहित्य को संवाद का माध्यम बताया और उम्मीद जाहिर की कि सच्चे वातावरण में सभी शिक्षकों की सहमति से प्राचार्य ने जिस साहित्य कला परिषद का गठन किया है, वह अपने सही उद्देश्य को प्राप्त करेगी।
प्राचार्य डॉ. आरके चौधरी ने समूह का स्वागत करते हुए आज के दिन को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि मुझे विश्वास है कि साहित्य कला फाउंडेशन के साथ हुए इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के साथ ही साहित्य कला परिषद अस्तित्व में आ चुका है और भविष्य में यहां के छात्रों का जो अनुशासन है और शिक्षकों की जो कर्तव्य निष्ठा है, वह यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में स्पष्ट दिखेगी। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं साहित्य से रुचि रखता हूं और हमारे महाविद्यालय के कई ऐसे शिक्षक भी हैं, जो लिखने में रुचि रखते हैं, उनमें साहित्यिक अभिरुचि है, उन सबों की सक्रियता और सजगता से छात्रों के भीतर जो सृजनात्मक क्षमता है, वह निखरेगी।
फाउंडेशन के ट्रस्टी और वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश कुमार मिश्र ने भी बैठक को संबोधित किया और फाउंडेशन किस प्रकार से काम करती है, उस पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्राचार्य के निर्देशन में जो भी साहित्य कला परिषद तय करेगी, वह फाउंडेशन को सूचित होने पर सम्यक विमर्श के उपरांत उसके लिए व्यवस्था की जाएगी और स्तरीयता के साथ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
इस मौके पर काफी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी एवं साहित्य कला फाउंडेशन के पदाधिकारी उपस्थित थे।