Dhanbad / Jamshedpur : झारखंड के धनबाद में आयोजित विश्व पृथ्वी दिवस 2025 समारोह के मौके पर जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने चेताया कि नदियों को बाँधना प्राकृतिक असंतुलन की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि दामोदर नदी जैसे जल स्रोतों पर बनाए जा रहे डैम से न केवल पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ रहा है, बल्कि इससे जीव-जंतुओं की विविधता भी खतरे में है। सरयू राय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “अब समय आ गया है कि नदियों को उनके प्राकृतिक प्रवाह में छोड़ा जाए, अन्यथा परिणाम विनाशकारी होंगे।” उन्होंने नदियों के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक शोध संस्थानों की भूमिका को भी रेखांकित किया।

पर्यावरण संरक्षण के लिए एमओयू
इस मौके पर IIT ISM धनबाद और युगांतर भारती के बीच पर्यावरण, जैव विविधता और सतत विकास को लेकर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुआ। IIT ISM की ओर से प्रो. अंशुमाली और युगांतर भारती की ओर से अध्यक्ष अंशुल शरण ने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
एमओयू के तहत होने वाली गतिविधियां
- संयुक्त वृक्षारोपण कार्यक्रम।
- शैक्षणिक सामग्री और शोध कार्यों का आदान-प्रदान।
- पर्यावरणीय कार्यशालाएं, प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान।
- स्व-रोजगार आधारित पर्यावरणीय कार्यक्रम।
इंसान की गतिविधियों ने बिगाड़ा प्रकृति संतुलन

मुख्य वक्ता प्रो. अशोक कुमार गुप्ता (IIT खड़गपुर) ने “Transforming Waste Water Management in India” विषय पर व्याख्यान देते हुए टिकाऊ जल प्रबंधन की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रोफेसर अंशुमाली ने कहा, “लैंड पॉलिसी सभी पॉलिसियों की जननी है,” क्योंकि भूमि के बिना कोई योजना लागू नहीं हो सकती। युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने आरोप लगाया कि मानवीय गतिविधियों के कारण कई पशु प्रजातियां समाप्त हो चुकी हैं, और धरती पर असंतुलन का खतरा मंडरा रहा है।
अब समय है अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ने का
IIT ISM धनबाद के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने कहा कि आज विज्ञान, नवाचार और अक्षय ऊर्जा को देश की विकास रणनीति का मूल बनाना होगा। उन्होंने गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी को अहम बताते हुए उन्हें जागरूकता का प्रमुख स्रोत बताया। डीन प्रो. एसके गुप्ता ने कहा कि “अब जीवाश्म ईंधनों की जगह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने का समय आ गया है।”
ओपन माइनिंग ने बदली धनबाद की सूरत
सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी संजय रंजन सिंह ने कहा कि धनबाद पहले एक साफ-सुथरा शहर था, लेकिन ओपन माइनिंग ने इसके पर्यावरण को जहरीला बना दिया है। “धनबाद की छाती पर अब प्रदूषण का बोझ है।” पर्यावरणविद डॉ. राकेश कुमार सिंह ने कहा कि आज शिक्षा का मकसद सिर्फ नौकरी बन गया है, लेकिन देश को ऐसे लोगों की जरूरत है जो पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करें।
नदियों और पेड़ों की रक्षा में जुटे लोग
दामोदर बचाओ आंदोलन के जिला संयोजक अरुण राय ने कहा कि पेड़-पौधे जीवन के लिए अमूल्य हैं। “यह हमें ऑक्सीजन देते हैं, इसलिए इनकी रक्षा करना हर नागरिक का दायित्व है।”