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आ रहा है सावन, झारखंड पर रही है बाबा भोलेनाथ की विशेष कृपा, जलाभिषेक से पूरी होती है हर मनोकामना, जानें राज्य के पांच बड़े शिव मंदिर के बारे में

by Rakesh Pandey
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सावन का महीना आ रहा है। बाबा बैद्यनाथ धाम पर जलाभिषेक करने के लिए पूरे देश से लोगों का देवघर पहुंचाना प्रारंभ होगा। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सावन में किया गया जलाभिषेक सीधे भगवान शिव को समर्पित होता है। यह सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला होता है।

आस्था में लोग पैदल चलकर बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाने आते हैं। हर तरफ बस कांवरिया ही कांवरिया दिखाई देते हैं। झारखंड पर बाबा भोलेनाथ की विशेष कृपा रही है। देवघर में बाबाधाम से लेकर दुमका बाबा बासुकीनाथ विराजमान हैं।

यहां लाखों लोगों की आस्था के महत्वपूर्ण धर्मस्थल हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं राज्य के पांच बड़े शिव मंदिर के बारे में, लोगों का विश्वास है कि इन मंदिरों में की गयी हर प्रार्थना स्वीकार की जाती है।

1. बाबा बैद्यनाथ धाम : यह झारखंड के देवघर जिले में स्थित है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

यह लिंग रावण की भक्ति का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि दशानन रावण की आराधना से प्रसन्न होकर उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गये। रावण शिव लिंग को लेकर चला लेकिन लंका तक नहीं पहुंच पाया। बीच में ही महालिंग को स्थापित करना पड़ा।

2. बाबा बासुकीनाथ धाम : यह झारखंड के दुमका जिले में स्थित है। देवघर आने वाले सभी श्रद्धालु बाबा बासुकीनाथ पर जलाभिषेक किये बगैर नहीं जाते। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा नागेश के रूप में की जाती है।

 

इस धाम में भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के मंदिर बिल्कुल आमने-सामने हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में और भी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं। शिव भक्त पहले बिहार के भागलपुर के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर बाबा धाम की ओर पैदल आते हैं। जो भक्त बिना रूके सीधे बासुकीनाथ पहुंचते हैं। उन्हें डाक बम करते हैं।

3. मुर्गा महादेव : मुर्गा महादेव में दर्शन करने के लिए झारखंड के कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिले पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम तथा सरायकेला-खरसावां के लोग पहुंचते हैं। इसके अलावा यह पड़ोसी राज्य ओडिशा के लोगों के लिए सबसे बड़े आस्था के केंद्र में से एक है।

ओडिशा के जोड़ा प्रखंड के रहने वाले एक परिवार ने मंदिर का निर्माण कराया था। कहा जाता है कि यहां मांगी गयी हर प्रार्थना पूरी होती है। अंग्रेजों के शासन काल से इस मंदिर को लेकर लोगों की अपार आस्था है। कहा जाता है कि अंग्रेज इस मंदिर को हटाना चाहते थे लेकिन भगवान शिव की कृपा से यह नहीं हो सका।

4.पहाड़ी मंदिर : पहाड़ी मंदिर झाारखंड की राजधानी रांची में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 300 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस पहाड़ी को फांसी टोंगरी भी कहा जाता है। लोगों का कहना है कि ब्रिटिश शासन काल में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को इसी पहाड़ी पर लाकर फांसी दी जाती थी। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि इस पहाड़ी पर भगवान शिव का निवास है। मंदिर के बारे में लोगों के पास अलग-अलग कहानियां हैं। यहां नागदेवता की भी पूजा की जाती है।

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5.दलमा बाबा मंदिर : जमशेदपुर-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग 33 के किनारे स्थित दलमा के पहाड़ पर दलमा बाबा मंदिर स्थापित है। यहां करीब 3000 फुट की ऊंचाई पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर स्थापित है। यह मंदिर गुफानुमा है। इस मंदिर के बारे में झारखंड के अलावा पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार के लोगों की अपार आस्था है। मंदिर में जलाभिषेक के लिए लोग दलमा की पहाड़ी की लंबी चढ़ाई पूरी कर पहुंचते हैं। माना जाता है कि यहां हर प्रार्थना स्वीकार की जाती है।

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