नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग से यह सवाल किया कि वह 1500 वोट रिकॉर्ड करने वाली ईवीएम के साथ उन मतदान केंद्रों की जरूरतों को कैसे पूरा करेगा, जिनमें 1500 से अधिक मतदाता होंगे। यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष आया।
फैसले पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह एक संक्षिप्त हलफनामे के जरिए स्थिति स्पष्ट करें। पीठ ने कहा कि हलफनामे की प्रति याचिकाकर्ता के वकील को दी जाए और 3 सप्ताह के भीतर इसका जवाब दाखिल किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ता इंदु प्रकाश सिंह ने चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 करने का निर्णय लिया गया था।
चुनाव आयोग का पक्ष
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि 2019 से चुनाव आयोग द्वारा मतदान इसी प्रकार किया जा रहा है और इससे कोई समस्या नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों से इस बारे में सलाह ली जाती है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सिंह से कहा कि वह इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए एक हलफनामा दायर करें और जोर दिया कि अदालत किसी भी स्थिति में मतदाताओं को परेशान नहीं करना चाहती है।
याचिका का आधार
याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग द्वारा अगस्त 2024 में जारी किए गए दो विज्ञप्तियों को चुनौती दी है। इन विज्ञप्तियों में देशभर के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया था। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने का यह निर्णय बिना किसी ठोस डेटा के लिया गया था और यह मनमाना था।
चुनावों पर प्रभाव
याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग के इस फैसले से महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्य, जहां हाल ही में चुनाव संपन्न हुए हैं, और अगले साल होने वाले बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनावों में मतदाताओं पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। याचिकाकर्ता का मानना है कि मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने से चुनावी प्रक्रिया और मतदाता अनुभव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 जनवरी को तय की है। इस दौरान चुनाव आयोग को अपना हलफनामा दायर करना होगा और अदालत को यह बताना होगा कि कैसे वह बढ़ी हुई मतदाता संख्या को सही तरीके से संभालेगा, खासकर ईवीएम की सीमाओं के संदर्भ में। इस मामले में अब चुनाव आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करने की चुनौती दी गई है, जिससे आगामी चुनावों के लिए मतदान प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ सकता है।
Read Also- Supreme Court Important Decision : आरक्षण के लाभ के लिए धर्म परिवर्तन धोखाधड़ी : SC