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शिवसेना सांसद संजय राउत ने सुप्रिया सुले से पूछा, क्या वह फडणवीस और शाह के नेतृत्व में काम करेंगी?

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना कभी भी अमित शाह के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेगी।

by Reeta Rai Sagar
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Mumbai: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शनिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले से सवाल किया कि यदि वह अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के साथ एकजुट होती हैं, तो क्या वह भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेता देवेंद्र फडणवीस और अमित शाह के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार होंगी। राउत ने यह भी कहा कि यदि सुले ऐसा करती हैं, तो क्या शरद पवार अमित शाह के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे?

राउत का बयान
राउत ने मीडिया से बातचीत में कहा, “शरद पवार की राकांपा उनके संघर्ष और प्रयासों से बनी थी, लेकिन अजित पवार की राकांपा अमित शाह द्वारा बनाई गई पार्टी है। अगर सुप्रिया सुले अजित पवार के साथ हाथ मिलाती हैं, तो सवाल यह है कि क्या वह फडणवीस और अमित शाह के नेतृत्व में काम करेंगी?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना कभी भी अमित शाह के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेगी।

सुप्रिया सुले की प्रतिक्रिया
सुप्रिया सुले ने इस मुद्दे पर स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो अपने पिता शरद पवार से और न ही महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल से दो राकांपा गुटों के विलय के बारे में कोई बात की है। उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली में सीमा पर स्थिति पर चर्चा के लिए आयोजित सर्वदलीय बैठक में व्यस्त थी। मैं कल ही लौटी हूं और अभी तक शरद पवार से नहीं मिली हूं। मैं उनसे मिलकर समझूंगी कि उन्होंने प्रेस में क्या कहा।”
सुले ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो शरद पवार के गुट के विधायक और न ही अजित पवार के गुट के विधायक से विलय के बारे में कोई चर्चा की है। उन्होंने कहा, “मैं संसद में सांसदों के समन्वय की जिम्मेदारी निभा रही हूं और हमारी टीम अच्छा काम कर रही है। हम जो भी करेंगे, सामूहिक रूप से करेंगे।”

अजित पवार का रुख
अजित पवार ने हाल ही में एक पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की नेतृत्व क्षमता की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि उनका कार्यशैली मोदी और शाह से मेल खाती है और उन्होंने कभी भी बुजुर्गों का अपमान करने का इरादा नहीं किया। अजित पवार का यह बयान उनके और शरद पवार के बीच बढ़ती राजनीतिक खाई को दर्शाता है।

शरद पवार का बयान
शरद पवार ने हाल ही में कहा था कि अजित पवार उनके नेता हैं और इस पर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राकांपा में कोई विभाजन नहीं हुआ है और यह एक वैचारिक अंतर के कारण हुआ है, न कि पारिवारिक मतभेदों के कारण।

राकांपा के दोनों गुटों के बीच विलय की संभावना पर संदेह बना हुआ है। सुप्रिया सुले और शरद पवार के रुख से स्पष्ट है कि वे अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के साथ एकजुट होने के पक्ष में नहीं हैं। वहीं, अजित पवार की भा.ज.पा. के प्रति नजदीकी और उनके नेतृत्व की सराहना से यह संकेत मिलता है कि वे अपनी राजनीतिक दिशा में बदलाव के पक्षधर हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस स्थिति में कोई भी निर्णायक कदम शरद पवार और अजित पवार के बीच संवाद और समझौते पर निर्भर करेगा। हालांकि, फिलहाल दोनों गुटों के बीच कोई स्पष्ट संकेत नहीं है कि वे एकजुट होने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।

इस बीच, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और अन्य विपक्षी दल इस राजनीतिक घटनाक्रम पर करीबी नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि यह महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दे सकता है।

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