धनबाद : कोयला कर्मियों को सितंबर में बढ़ा हुआ वेतन का भुगतान मिलेगा या नहीं यह संशय की स्थिति बन गई है। जबलपुर हाई कोर्ट के फैसले ने कोल इंडिया सहित अन्य अनुषंगी कंपनी में कार्यरत 2. 31 लाख कोयला मजदूर को झटका दिया है। अधिकारियों द्वारा याचिका पर कोर्ट ने कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी की अनुमति से लागू किया गया कोयला वेतन समझौता का लाभ देने पर रोक लगा दी है।
साथ ही डीपीई के गाइड लाइन को लेकर सवाल उठाया। 29 अगस्त को दिए गए फैसले की कापी भी कोल इंडिया को मिल गई है। इसकी पुष्टि शुक्रवार को कोल इंडिया कार्मिक विभाग के वरीय अधिकारी ने की है। अगस्त में कोयला वेतन समझौता के तहत बढ़ा हुआ वेतन का लाभ कोयला कर्मियों को मिला। सितंबर में 23 माह का बकाया एरियर का भी भुगतान किया गया।
कोयला कर्मचारियों को झटका सितंबर से वेतन बढ़ोतरी पर संशय
वहीं कोल इंडिया के वरीय अधिकारी ने बताया कि कोर्ट का आदेश मिला है। कोल इंडिया विधि विभाग के साथ परामर्श कर रही है। कोयला कर्मियों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। उच्च न्यायालय के साथ डबल बैंच में अपील करने का रास्ता अभी खुला है। कानूनी रूप से लड़ाई लड़ी जाएगी। सोमवार को इस पर कोल इंडिया विधि विभाग के अनुसार न्यायालय में अपील दायर करेगी।
करीब 29 अधिकारियों ने संयुक्त रूप से जबलपुर कोर्ट में वेतन समझौता 11 को लेकर याचिका दायर की थी। जिसमें कोयला मंत्रालय, कोल इंडिया, कोल इंडिया डीपी सहित छह लोगों को इसमें पार्टी बनाया था। वरीय अधिकारी ने बताया कि कोर्ट ने वेतन समझौता का गलत नहीं बताया है।
एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष व जेबीसीसीआइ सदस्य रमेंद्र कुमार ने मीडिया को बताया कि कोर्ट का जो फैसला दिया है। इससे सितंबर में कोल कर्मियों को बढ़े हुए वेतन का लाभ मिलेगा कि नहीं यह संशय है। कोल इंडिया को इस पर गंभीरता से निर्णय लेना है। इस तरह के फैसले से कोयला अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच मतभेद बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि पूरे मामले को लेकर जल्द ही जेबीसीसीआइ सदस्यों को बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय की जाएगी। यह काफी गलत है।
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