Ranchi (Jharkhand) : झारखंड में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में एक और बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। छत्तीसगढ़ के नामचीन कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया के खिलाफ एसीबी (भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो) की विशेष अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। यह वारंट उस वक्त जारी किया गया जब सिंघानिया एसीबी द्वारा जारी समन के बावजूद पेश नहीं हुए। एसीबी ने उन्हें पूछताछ के लिए नोटिस भेजा था और उपस्थित होने को कहा था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति को कोर्ट ने गंभीरता से लिया। इसके बाद एसीबी ने अदालत से गिरफ्तारी वारंट की अनुमति मांगी, जो गुरुवार को स्वीकृत कर दी गई।
तीन गिरफ्तार आरोपितों से रिमांड पर पूछताछ जारी
इस मामले में पहले ही तीन प्रमुख आरोपी सुधीर कुमार दास, सुधीर कुमार और नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार किया जा चुका है। एसीबी की टीम ने इन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर रिमांड पर लिया है और पूछताछ गुरुवार से शुरू कर दी गई है। इनसे पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारियां सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे इस घोटाले की परतें और खुल सकती हैं।
संदिग्ध एजेंसियों की भूमिका पर संदे
हयह घोटाला वर्ष 2022 में लागू की गई झारखंड की नई शराब नीति से जुड़ा है, जो छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित थी। जांच में सामने आया है कि फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर दो प्लेसमेंट एजेंसियों को सरकारी काम दिया गया। होलोग्राम निर्माण, मेनपावर सप्लाई और थोक शराब ठेका जैसी प्रमुख जिम्मेदारियां संदिग्ध कंपनियों को दी गईं। इन सभी संस्थाओं की भूमिका जांच के घेरे में है और इन पर धोखाधड़ी व मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं।
सिंघानिया की भूमिका क्यों संदिग्ध?
सूत्रों के अनुसार, सिद्धार्थ सिंघानिया की कंपनियों का नाम थोक शराब आपूर्ति, प्लेसमेंट सेवाएं और तकनीकी उपकरण आपूर्ति से जुड़े मामलों में आ रहा है। उनकी कारोबारी नेटवर्किंग और निर्णय प्रक्रिया में भूमिका को लेकर कई दस्तावेज एसीबी के पास मौजूद हैं, जिनके आधार पर उन्हें मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत
एसीबी की यह कार्रवाई यह दर्शाती है कि राज्य सरकार शराब घोटाले को लेकर बेहद गंभीर है।सूत्रों की मानें तो जल्द ही कुछ और बड़े नामों पर शिकंजा कस सकता है और संपत्ति जब्ती की कार्रवाई भी प्रारंभ की जा सकती है।