साहिबगंज: हर वर्ष 30 जून को झारखंड में हूल क्रांति के महानायकों शहीद सिदो-कान्हू को श्रद्धांजलि देने के लिए हूल दिवस मनाया जाता है। साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव में इस अवसर पर खास आयोजन होते हैं, जहां उनके वंशज पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजा अर्चना करते हैं।
पूजा के समय में बदलाव से नाराज वंशजों का विरोध
इस बार जिला प्रशासन द्वारा पूजा के समय को लेकर बदलाव किए गए हैं। नए आदेश के अनुसार, पूजा सुबह 10 बजे से पहले और शाम 4 बजे के बाद ही की जा सकती है। प्रशासन के इस निर्णय से सिदो-कान्हू के वंशजों में भारी असंतोष है। इस फैसले के खिलाफ मंडल मुर्मू, सिदो-कान्हू मुर्मू हूल फाउंडेशन और आतु मांझी बैसी भोगनाडीह के बैनर तले कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन कर प्रशासन का विरोध किया।
धरना, नारेबाजी और पारंपरिक रैली के जरिए जताया गया विरोध
सिदो-कान्हू मुर्मू हूल फाउंडेशन के अध्यक्ष मंडल मुर्मू ने ग्राम प्रधान बबलू हांसदा सहित कई लोगों की उपस्थिति में भोगनाडीह के मांझी थान में पूजा की। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पारंपरिक तीर-धनुष, भाला, तलवार लेकर गांव में रैली निकाली और स्टेडियम परिसर तक मार्च करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष नारेबाजी कर विरोध जताया।
अनुमति न मिलने पर जताई नाराजगी, कार्यक्रम को लेकर प्रशासन पर सवाल
मंडल मुर्मू ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस बार भी हूल दिवस पर फाउंडेशन द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया जाना था। इसके मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेम्ब्रम को आमंत्रित किया गया था। लेकिन इस बार कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी गई, जिससे समुदाय में गहरा आक्रोश है।
उन्होंने कहा कि, “हम हर वर्ष की तरह इस बार भी शांतिपूर्ण तरीके से पूजा करना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन हमें रोक रहा है, जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं।”
प्रशासन की चुप्पी, एक अधिकारी ने दी सफाई
जहां जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, वहीं एक सीनियर अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “पूजा शांतिपूर्ण तरीके से होनी चाहिए, इसके लिए समय सीमा सुबह 10 बजे से पहले और शाम 4 बजे के बाद निर्धारित की गई है।”
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