सीवान (बिहार): राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ सिवान की एसीजेएम (MP/MLA) कोर्ट ने एक इश्तेहार (प्रोक्लेमेशन नोटिस) जारी किया है। यह आदेश एक दशक पुराने आचार संहिता उल्लंघन के मामले में आया है, जिसमें लालू यादव बार-बार कोर्ट में पेश नहीं हुए।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला वर्ष 2011 का है, जब दरौंदा विधानसभा उपचुनाव के दौरान लालू यादव ने अपने प्रत्याशी परमेश्वर राय के समर्थन में प्रचार किया था। उस समय इलाके में धारा 144 लागू थी और लाउडस्पीकर एक्ट सहित धारा 144 व 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। प्रशासन के अनुसार, चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन और ध्वनि नियंत्रण अधिनियम के नियमों को तोड़ा गया। इसको लेकर तत्कालीन सीओ (Circle Officer) द्वारा दरौंदा थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी।
पहले समन, फिर वारंट, अब इश्तेहार
पिछले 14 वर्षों से यह मामला ACJM 1, MP/MLA कोर्ट सीवान में लंबित था। लेकिन लालू यादव की बार-बार अनुपस्थिति के कारण अब न्यायालय ने उनके विरुद्ध इश्तेहार जारी कर दिया है। इससे पहले कोर्ट ने समन और वारंट भी जारी किया था, लेकिन लालू यादव की अनुपस्थिति बनी रही।
कहां चस्पा होगा इश्तेहार?
जारी किए गए इश्तेहार को अब गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में, जो लालू यादव का पैतृक निवास है, चस्पा किया जाएगा। यह प्रक्रिया दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत की जा रही है ताकि अदालत में पेश होने के लिए अंतिम चेतावनी दी जा सके।
कानूनी स्थिति क्या है?
मामले में लगाए गए धाराएं, जैसे कि धारा 144, 188 और ध्वनि प्रदूषण अधिनियम की धारा 9, बेलेबल (जमानती) हैं। लेकिन अदालत में उपस्थिति नहीं देने के कारण अब मामला गंभीर रूप ले चुका है। एडवोकेट मदन सिंह ने बताया कि यह पूरी तरह से बेलेबल सेक्शन है, लेकिन बार-बार गैरहाजिर रहने के चलते कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया के तहत इश्तेहार जारी कर दिया है।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
अगर लालू प्रसाद यादव अब भी कोर्ट में समय पर उपस्थित नहीं होते, तो न्यायालय उनके खिलाफ कुर्की-जब्ती की कार्रवाई भी शुरू कर सकती है। यह क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की धारा 82-83 के तहत आता है।
राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से महत्व
यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी चर्चा का विषय बन गया है। चूंकि लालू यादव पहले से ही कई मामलों में आरोपी रहे हैं, यह मामला उनकी राजनीतिक छवि और सार्वजनिक जीवन पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।