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Solar/ Lunar Eclipse: साल 2025 में सूर्य और चंद्र ग्रहण : तारीखें और प्रभाव

भारत में, ग्रहणों को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान, कई लोग पूजा और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

by Rakesh Pandey
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फीचर डेस्क : सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण खगोलीय घटनाएं हैं, जो पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच की स्थिति पर निर्भर करती हैं। जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में आते हैं, तब ये ग्रहण लगते हैं। इन घटनाओं का न केवल खगोल विज्ञान में महत्व है, बल्कि हिंदू धर्म और ज्योतिष में भी इन्हें विशेष महत्व दिया जाता है। साल 2025 में होने वाले ये सूर्य और चंद्र ग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

हालांकि भारत में इन ग्रहणों का प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होगा फिर भी इनका अवलोकन करने के लिए उपयुक्त स्थानों का चुनाव करना जरूरी होगा। ग्रहण की अद्भुतता और उनके पीछे के विज्ञान को समझना हमें आकाशीय घटनाओं के प्रति जागरूक बनाता है और हमारी जिज्ञासा को बढ़ाता है। साल 2025 में चार ग्रहण लगेंगे जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण। आइए इन ग्रहण के बारे में विस्तार से जानते हैं।

पहला सूर्य ग्रहण:

तारीख : 29 मार्च 2025
प्रकार : आंशिक सूर्य ग्रहण
दृश्यता : यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसका मुख्य प्रभाव यूरोप, रूस और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में होगा। इस दिन सूर्य की रोशनी का एक हिस्सा चंद्रमा द्वारा ढक जाएगा, लेकिन यह पूर्ण रूप से नहीं होगा। आंशिक सूर्य ग्रहण का मतलब है कि चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ही ढकता है।

दूसरा सूर्य ग्रहण :

तारीख : 21 सितंबर 2025
प्रकार : आंशिक सूर्य ग्रहण
दृश्यता : यह भी भारत में नहीं दिखाई देगा। इसकी मुख्य दृश्यता न्यूजीलैंड, पैसिफिक और अंटार्कटिका में होगी। इस प्रकार के ग्रहण का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह दर्शकों को एक अद्वितीय दृश्य अनुभव देता है, लेकिन इसके लिए सही स्थान का चुनाव आवश्यक होता है।

पहला चंद्र ग्रहण :

तारीख : 14 मार्च 2025
प्रकार : पूर्ण चंद्र ग्रहण
दृश्यता : यह ग्रहण होलिका दहन के दिन लगेगा, लेकिन भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। यह ग्रहण मुख्यतः यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और पैसिफिक क्षेत्र में देखा जा सकेगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान, पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा की रोशनी पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में पड़ जाती है और वह लालिमा में बदल जाता है। इसे ‘ब्लडमून’ भी कहा जाता है।

दूसरा चंद्र ग्रहण :

तारीख : 7 सितंबर 2025
प्रकार : चंद्र ग्रहण
दृश्यता : यह ग्रहण पितृ पक्ष की शुरुआत में लगेगा और भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। हालांकि, यह ग्रहण अन्य क्षेत्रों में देखे जाने की संभावना है।

ग्रहणों का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

भारत में, ग्रहणों को धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान, कई लोग पूजा और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय किसी भी शुभ कार्य से बचना चाहिए और बाद में स्नान कर के पवित्रता प्राप्त करनी चाहिए।

वहीं, चंद्र ग्रहण के समय विशेष रूप से पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ लोग व्रत रखते हैं और ध्यान करने का महत्व समझते हैं। ऐसे समय में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है, इसलिए विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

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