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ऋत्विक घटक को समर्पित रही सृजन संवाद की 149वीं संगोष्ठी: फेसबुक लाइव पर हुआ आयोजन, फिल्म जगत की दो अहम हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि

सृजन संवाद की 149वीं संगोष्ठी में ऋत्विक घटक को उनके शताब्दी वर्ष में याद किया गया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में अमोल गुप्ते और सुदीप सोहनी जैसे चर्चित फिल्मकारों ने भाग लिया और घटक के सिने-संस्कारों की गहराई से चर्चा की।

by Anand Mishra
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जमशेदपुर : सृजन और संस्कृति को समर्पित संस्था ‘सृजन संवाद’ ने अपनी 149वीं संगोष्ठी को सुप्रसिद्ध सिने-निर्देशक और विचारक ऋत्विक घटक की स्मृति को समर्पित किया। यह विशेष संगोष्ठी 18 अप्रैल 2025 को शुक्रवार सुबह 11 बजे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्ट्रीमयार्ड और फेसबुक लाइव के माध्यम से आयोजित की गई।

कार्यक्रम में दो विशिष्ट सिने-हस्तियों

मुंबई से लेखक-अभिनेता अमोल गुप्ते और भोपाल से स्वतंत्र फिल्मकार सुदीप सोहनी – ने बतौर मुख्य वक्ता हिस्सा लिया। यह आयोजन करीम सिटी कॉलेज (जमशेदपुर) के मास कम्युनिकेशन विभाग, न्यू दिल्ली फिल्म फाउंडेशन एवं ‘सिनेकारी’ के सहयोग से संपन्न हुआ। संचालन का दायित्व दिल्ली से आशीष कुमार सिंह ने निभाया और स्वागत भाषण डॉ. विजय शर्मा ने दिया।

ऋत्विक घटक: सिनेमा का संवेदनशील अध्याय

कार्यक्रम के दौरान अमोल गुप्ते ने ऋत्विक घटक के साथ अपने मानसिक और कलात्मक जुड़ाव को अत्यंत भावुक स्वर में साझा किया। उन्होंने बताया कि वे 19 वर्ष की उम्र में पुणे फिल्म संस्थान (FTII) में दाखिल हुए थे और 13 वर्षों तक वहाँ अध्ययनरत रहे। इस दौरान उन्होंने घटक की सभी फिल्में न सिर्फ देखीं बल्कि उनकी भावनात्मक गहराई और कलात्मक बारीकियों को आत्मसात किया।

गुप्ते ने बताया कि ऋत्विक घटक के निर्देशन में बनी फिल्में जैसे ‘मेघे ढाका तारा’, ‘स्वर्णरेखा’, और उनके निर्देशन में बनी डिप्लोमा फिल्में ‘रोंदेव्यू’, ‘फीयर’ जैसी कृतियाँ, आज भी उनके सिने-संस्कार का आधार हैं। उन्होंने घटक को अपना गुरु और स्वयं को उनका एकलव्य शिष्य मानते हुए कहा कि यदि आज वे संवेदनशील सिनेमा बना पा रहे हैं, तो उसका श्रेय ऋत्विक घटक की प्रेरणा को है।

घटक की परंपरा का विस्तार : सुदीप सोहनी की दृष्टि

स्वतंत्र फिल्मकार के रूप में घटक की प्रेरणा : सुदीप सोहनी, जो 2013-14 में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII, Pune) से जुड़े रहे, उन्होंने बताया कि वे भले ही घटक के प्रत्यक्ष शिष्य नहीं रहे, परंतु घटक के शिष्य कुमार साहनी से उन्हें मिलने और संवाद का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि घटक के प्रभाव में कुमार साहनी, मणि कौल जैसे फिल्मकारों ने जिस प्रकार के कलात्मक सिनेमा को जन्म दिया, वह अगली पीढ़ी के फिल्मकारों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया।

सुदीप सोहनी की चर्चित डॉक्यूमेंट्री फिल्में ‘यादों में गणगौर’ और ‘तनिष्का’ देश-विदेश के प्रमुख फिल्म समारोहों में प्रशंसा प्राप्त कर चुकी हैं। उन्होंने घटक की फिल्म ‘मेघे ढाका तारा’ की नायिका ‘तारा’ को अमर किरदार बताते हुए कहा, “हर फिल्मकार चाहता है कि उसकी किसी रचना में ‘तारा’ जैसा किरदार हो जो युगों-युगों तक जीवित रहे।”

सृजन संवाद : सिनेमा, साहित्य और विचारधारा का साझा मंच

कार्यक्रम के समापन पर आशीष कुमार सिंह ने संगोष्ठी की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि सृजन संवाद की 150वीं संगोष्ठी को और भी विशेष रूप से आयोजित किया जाएगा। इस बार की संगोष्ठी में डॉ. मीनू रावत (जमशेदपुर), डॉ. मंजुला मुरारी (लखनऊ), पत्रकार अनघा मारीषा (बेंगलुरु), अमरेंदर कुमार शर्मा (वर्धा) सहित कई अन्य गणमान्य श्रोता जुड़े, जिनकी टिप्पणियों ने संवाद को और भी अर्थपूर्ण बनाया।

ऋत्विक घटक की विरासत को जीवंत करता संवाद

‘सृजन संवाद’ की यह 149वीं संगोष्ठी न केवल एक श्रद्धांजलि थी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश भी देती है कि कलात्मकता, संवेदनशीलता और सामाजिक सरोकार के बिना सिनेमा अधूरा है। ऋत्विक घटक जैसे निर्देशक की स्मृति और दृष्टिकोण को पुनर्स्मरण करना, आज के दौर में एक सांस्कृतिक जिम्मेदारी है और सृजन संवाद ने यह कार्य अत्यंत गंभीरता और गरिमा के साथ निभाया।

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