Jamshedpur : झारखंड के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने कमर कस ली है। विभाग ने शिक्षकों की समय पर उपस्थिति को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं, वहीं छात्रों की कक्षा में नियमितता पर भी पैनी नजर रखी जाएगी। नए नियमों के तहत शिक्षकों को अब हर हाल में समय पर विद्यालय पहुंचना होगा।
तीन दिन लेट तो एक दिन की छुट्टी
विभागीय अधिसूचना के अनुसार, सभी शिक्षकों को प्रतिदिन समय पर विद्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। यदि कोई शिक्षक लगातार तीन दिन विलंब से आता है, तो उसे एक आकस्मिक अवकाश माना जाएगा। विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह ने इस संबंध में राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) और जिला शिक्षा अधीक्षकों (DSE) को पत्र लिखकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है।
प्रार्थना सभा से लेकर पाठ्यक्रम तक नए नियम
अधिसूचना में प्रार्थना सभा के संचालन को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं। अब प्रार्थना सभा के अंत में दैनिक समाचार वाचन, करेंट अफेयर्स, अंग्रेजी में एक छोटी नैतिक कहानी, मादक पदार्थों के दुरुपयोग की रोकथाम, सड़क सुरक्षा और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर छात्रों को जागरूक किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, शैक्षणिक सत्र के शुरुआती महीनों में विद्यार्थियों के सीखने के स्तर का आकलन कर बुनियादी ज्ञान (पढ़ना, लिखना, अंकगणित) की विशेष कक्षाएं आयोजित की जाएंगी।
सभी प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों को प्रवेश कक्षा में नामांकन के लिए अपने पोषक क्षेत्र के परिवारों और आम जनता के बीच व्यापक प्रचार-प्रसार करना होगा। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के दिशानिर्देशों के अनुसार, छात्रों की न्यूनतम 75% उपस्थिति अनिवार्य है, और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी छात्रों को शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। प्रत्येक महीने 75% से कम उपस्थिति वाले छात्रों की पहचान की जाएगी और उनके अभिभावकों को प्रधानाध्यापक द्वारा छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए ज्ञापन जारी किया जाएगा। अनुपस्थित रहने वाले बच्चों को प्रेरित करने के लिए क्लास मॉनिटर, बाल संसद और पोषक क्षेत्र के उच्च कक्षाओं के छात्रों की भी मदद ली जाएगी।
अधिकारियों को नियमित निरीक्षण के निर्देश
जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा अधीक्षक को नियमित रूप से विद्यालयों का दौरा करने और निरीक्षण करने का आदेश दिया गया है। निरीक्षण के बाद, उन्हें संबंधित जिले के उपायुक्त, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और राज्य परियोजना निदेशक को विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी। विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करने और इसे बढ़ाने के लिए अभिभावकों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक तीन महीने में अभिभावक-शिक्षक बैठक (PTM) और प्रत्येक महीने स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) की बैठक आयोजित करना अनिवार्य होगा, और इसकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज करनी होगी।
शिक्षकों को पाठ्यपुस्तक के अनुरूप विषयवार विस्तृत पाठ योजना तैयार करनी होगी, जिसे प्रधानाध्यापक द्वारा मूल्यांकित और प्रतिहस्ताक्षरित किया जाएगा, और जिला शिक्षा पदाधिकारी इसकी निगरानी करेंगे। छात्रों के कक्षावार और विषयवार सीखने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए शैक्षणिक योजना और कार्ययोजना के अनुसार शिक्षण कार्य कराना होगा। विद्यालयों में स्थापित स्मार्ट क्लास और अन्य प्रयोगशालाओं का प्रभावी संचालन सुनिश्चित किया जाएगा।
शिक्षकों को स्प्लिट सिलेबस के आधार पर कालांशवार पाठ्यवस्तु का प्रतिदिन और महीनेवार (रजिस्टर में दर्ज) शिक्षण कार्य सुनिश्चित करना होगा, जिसे प्रधानाध्यापक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाएगा। शिक्षकों की अनुपस्थिति विवरणी में निष्पादित पाठ्य-योजना के अनुसार कक्षा लेने संबंधी प्रमाण पत्र के आधार पर ही वेतन का भुगतान किया जाएगा। सिलेबस के आधार पर विस्तृत प्रोजेक्ट तैयार कर शिक्षण कार्य किया जाएगा। J-guruji पोर्टल पर स्प्लिट सिलेबस के आधार पर शिक्षकों द्वारा ली गई कक्षाओं की जानकारी दर्ज की जाएगी, ताकि विभाग द्वारा समय-समय पर किए गए कार्यों की ऑनलाइन समीक्षा की जा सके। प्रत्येक महीने के पहले और दूसरे शनिवार को हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत व्याकरण और गणित, विज्ञान की एक-एक घंटे की कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इसके बाद छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए परिचर्चा, पेंटिंग, क्राफ्ट, कर्सिव राइटिंग, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों जैसी अतिरिक्त पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियां संचालित की जाएंगी। विभागीय अधिसूचना के अनुसार, इन सभी निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की अंतिम जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक की होगी।