सेंट्रल डेस्क : दिल्ली-एनसीआर में आज (17 फरवरी 2025) भूकंप के तेज भटके महसूस किए गए। भूकंप सुबह 5.36 बजे आया। भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत भूकंप के रिकॉर्ड करने वाली संस्था- नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक इसकी तीव्रता 4.0 मापी गई।
भूकंप का झटका इतना तेज था कि लोगों की नींद टूट गई और दहशत में लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र दिल्ली में था और इसकी तीव्रता 4.0 मापी गई, जिससे आसपास के इलाकों में भी तेज झटके महसूस किए गए।
भूकंप के कारण और इसका केंद्र
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, यह भूकंप नई दिल्ली में हुआ, जिसका केंद्र जमीन से 5 किलोमीटर की गहराई पर था। इस घटना के बाद से इमारतें हिलने लगीं और कई जगहों पर लोग घबराकर बाहर निकल आए। इस भूकंप के दौरान पेड़ों पर बैठे पक्षी भी तेज आवाज के साथ इधर-उधर उड़ने लगे। भूकंप का केंद्र दिल्ली में होने के कारण आसपास के क्षेत्रों में भी तीव्र झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर 4.0 तीव्रता को सामान्य माना जाता है, लेकिन इसका केंद्र दिल्ली में होने के कारण प्रभाव अधिक महसूस हुआ।
भूकंप का कारण क्या है?
भूकंप पृथ्वी के भीतर होने वाली प्लेटों की आपसी टकराहट से उत्पन्न होते हैं। पृथ्वी की सतह के नीचे 12 टैक्टोनिक प्लेटें मौजूद हैं, जो हमेशा एक-दूसरे से टकराती या खिसकती रहती हैं। इन प्लेटों के टकराने पर जो ऊर्जा उत्पन्न होती है, उसे भूकंप के रूप में महसूस किया जाता है।
धरती के अंदर प्लेटों के आपसी टकराव की प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है, और यही कारण है कि हर साल दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप आते रहते हैं। भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहा जाता है, जहां प्लेटों के टकराने से ऊर्जा का प्रवाह होता है।
भूकंप के केंद्र को समझना
भूकंप का केंद्र, जिसे हाइपोसेंटर भी कहा जाता है, पृथ्वी की सतह के नीचे वह स्थान होता है जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैं या टूटती हैं। इस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा तरंगों के रूप में फैलती है और यह कंपन पूरी पृथ्वी में महसूस किया जाता है। जैसे तालाब में पत्थर डालने पर तरंगें फैलती हैं, ठीक वैसे ही पृथ्वी के अंदर ऊर्जा के विस्फोट से तरंगें उत्पन्न होती हैं।
भूकंप के केंद्र और पृथ्वी के केंद्र को जोड़ने वाली रेखा जब धरती की सतह को काटती है, तो वह स्थान भूकंप का अभिकेंद्र (एपिक सेंटर) कहलाता है। यह वह स्थान होता है जहां पर भूकंप के झटके सबसे ज्यादा महसूस होते हैं।
भूकंप की तीव्रता कैसे मापी जाती है?
भूकंप की तीव्रता और समय का पता लगाने के लिए सिस्मोग्राफ नामक मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण से धरती के भीतर हो रहे कंपन को रिकॉर्ड किया जाता है और उसी के आधार पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। यह ग्राफ को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है।
रिक्टर स्केल के माध्यम से यह पता चलता है कि भूकंप की तरंगों की तीव्रता कितनी थी और उसका केंद्र कहां था। इसके अलावा, सिस्मोग्राफ की मदद से भूकंप के समय और ऊर्जा के स्तर का भी निर्धारण किया जाता है।
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता और संभावित तबाही
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का इस्तेमाल किया जाता है। यह स्केल 0 से लेकर 10 तक के पैमाने पर भूकंप की तीव्रता को मापता है। भूकंप के झटकों का प्रभाव और तबाही उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है। आइए जानें रिक्टर स्केल पर विभिन्न तीव्रताओं के भूकंप से होने वाली संभावित तबाही के बारे में:
- 0 से 1.9 मैग्नीट्यूड (अत्यंत हल्का)
इस तीव्रता का भूकंप इतनी हल्की शक्ति के साथ आता है कि यह सिर्फ भूकंप के केंद्र के आस-पास ही महसूस होता है। इसके झटके इतने कमजोर होते हैं कि इससे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता है और ना ही ये किसी तरह की चिंता का कारण बनते हैं। - 2 से 3.9 मैग्नीट्यूड (हल्का)
इस प्रकार के भूकंप के झटके हल्के होते हैं, लेकिन अगर भूकंप का केंद्र अधिक गहराई में होता है, तो इसे 100-150 किमी तक महसूस किया जा सकता है। हालांकि, इस तीव्रता में भूकंप से कोई गंभीर नुकसान नहीं होता। - 4 से 5.9 मैग्नीट्यूड (मध्यम)
जब भूकंप की तीव्रता 4 से 5.9 के बीच होती है, तो इसका असर ज्यादा महसूस किया जाता है। इस तीव्रता वाले भूकंप में गहरे झटके हो सकते हैं, जिससे घरों में रखा सामान हिल सकता है और इमारतें भी थोड़ी हिल सकती हैं। हालांकि, यह तबाही का कारण नहीं बनता, लेकिन अगर भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इसका असर और अधिक हो सकता है। - 6 से 6.9 मैग्नीट्यूड (तगड़ा)
यह तीव्रता वाले भूकंप तबाही का कारण बन सकते हैं, खासकर यदि भूकंप का केंद्र गहरा न हो। 6 से 6.9 तक की तीव्रता वाले भूकंप उच्च इमारतों (हाईराइज बिल्डिंग) के लिए खतरनाक हो सकते हैं। दिल्ली-एनसीआर जैसे क्षेत्रों में, जहां हिमालय क्षेत्र के करीब स्थित हैं, इस प्रकार के भूकंप के असर की संभावना ज्यादा हो सकती है। - 7 से 7.9 मैग्नीट्यूड (भयानक)
जब भूकंप की तीव्रता 7 से 7.9 के बीच होती है, तो यह एक बड़े पैमाने पर तबाही का कारण बन सकता है। इमारतें गिर सकती हैं, सड़कें टूट सकती हैं, और पूरे इलाके में व्यापक नुकसान हो सकता है। इस तीव्रता के भूकंप में लोगों की जान का खतरा भी बढ़ जाता है। - 8 से 8.9 मैग्नीट्यूड (प्रलयकारी)
रिक्टर स्केल पर 8 से 8.9 तक के भूकंप भयंकर तबाही मचाते हैं। इनके प्रभाव का दायरा सैकड़ों किमी तक फैल सकता है। इस प्रकार के भूकंप से बड़े पैमाने पर इमारतें गिर सकती हैं, सड़कें और पुल टूट सकते हैं, और बड़े शहरों में व्यापक क्षति हो सकती है। - 9 मैग्नीट्यूड से अधिक (प्राकृतिक आपदा)
रिक्टर स्केल पर 9 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप को प्रलयकारी माना जाता है। इन भूकंपों से सड़कों में裂, पुलों का ढहना, और शहरों का पूरी तरह से नष्ट होना संभव है। इस प्रकार के भूकंपों का प्रभाव न केवल भूकंप के केंद्र के आसपास, बल्कि दूर-दूर तक महसूस किया जा सकता है। यह एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा का रूप ले सकता है।
मैग्नीट्यूड से ऊपर के भूकंप और उनकी तबाही
यदि दिल्ली-एनसीआर में भूकंप की तीव्रता 6 मैग्नीट्यूड या उससे ज्यादा होती, तो इसका असर काफी गंभीर हो सकता था। भूकंप से होने वाली तबाही को दो श्रेणियों में बांटा जाता है:
एपिसेंट्रल डैमेज: भूकंप के केंद्र के करीब के 100 किमी के क्षेत्र में इसका असर ज्यादा महसूस होता है। अगर भूकंप की गहराई कम हो, तो 15 मीटर से ऊंची इमारतों को भारी नुकसान हो सकता है।
गहरी गहराई वाले भूकंप: यदि भूकंप का केंद्र गहरे स्थान पर होता है, तो यह 200 से 250 किमी तक तबाही मचाने की संभावना रखता है।
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