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पंजाब में नहीं रूक रहा पराली जलाना, अब तक 6600 से अधिक मामले

अक्तूबर-नवंबर में पंजाब के कई इलाकों में फसलों कि कटाई होती है, जिसके बाद किसान पराली जलाना शुरू कर देते हैं। इसी माह में दिल्ली में होने वाले प्रदूषण का जिम्मेदार भी इसी पराली को कहा जाता रहा है। सख्त प्राविधान के बावजूद पराली जलाने के मामले रुक नहीं रहे हैं।

by Reeta Rai Sagar
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चंडीगढ़। पंजाब में पराली जलाए जाने का मामला बेहद खतरनाक होता जा रहा है। रविवार को पराली जलाए जाने के कुल रिकॉर्ड 345 मामले सामने आए। पंजाब के संगरूर जिले से पराली जलाए जाने की सबसे अधिक घटनाएं सामने आई है। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के डेटा के अनुसार, 15 सितंबर से लेकर 10 नवंबर तक पराली जलाए जाने के कुल 6,611 घटनाएं हुई हैं। इनमें से सबसे अधिक संगरूर से 116 घटनाएं सामने आई हैं।

हर साल अक्तूबर-नवंबर में जलाई जाती है पराली

संगरूर के अलावा मनसा में 44, फिरोजपुर में 26, मौगा और फरीदकोट में 24-24 और मुकतसर में 20 घटनाएं सामने आई है। गौरतलब है कि अक्तूबर-नवंबर में पंजाब के कई इलाकों में फसलों कि कटाई होती है, जिसके बाद पराली जलाया जाता है। इसी माह में दिल्ली में होने वाले प्रदूषण का जिम्मेदार भी इसी पराली को कहा जाता रहा है।

बीते वर्ष की तुलना में कम हुए पराली जलाने के मामले

दरअसल धान की कटाई के बाद रबी की फसलों विशेष रूप से गेहूं की बुआई के लिए समय कम मिलता है, ऐसे में किसान अगली फसल की बुआई के लिए पराली को खेतों में जला देते हैं। 2023 में पंजाब में पराली जलाए जाने के कुल 36,663 घटनाएं सामने आई थी। हांलाकि पिछले साल की तुलना में पराली जलाए जाने के मामले में 26 फीसदी की गिरावट आई है।

बढ़ाया गया है जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद पराली जलाए जाने पर भारी भरकम जुर्माना लगाया गया है। दो एकड़ से कम जमीन वालों को 5000 रुपये जुर्माना, 2 से 5 एकड़ तक की जमीन वालों को 10 हजार रुपये और 5 एकड़ से अधिक जमीन वालों को 30,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। बीते माह शीर्ष अदालत ने इस मामले में दखल देते हुए केंद्र को फटकार लगाई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने जुर्माने की राशि बढ़ाई।

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