मुंबई : महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई हमेशा ही जीवन और उमंग का प्रतीक रहा है, लेकिन फिलहाल एक गहरे शोक में डूबा हुआ है। एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय स्कूल में पढ़ने वाली 16 वर्षीय छात्रा ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। स्कूल के बाथरूम में उसने खुद के जूतों के लेस से फांसी लगा ली। इस घटना ने न केवल छात्रा के परिवार बल्कि पूरे स्कूल और समाज को हिलाकर रख दिया है।
क्या है वजह?
फिलहाल, पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और घटना के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। छात्रा के माता-पिता ने भी किसी पर कोई शक नहीं जताया है, लेकिन स्कूली बच्चों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने चिंता जताई है। हाल ही में, बांदा में भी एक 12वीं कक्षा की छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। उस मामले में छात्रा के पिता ने आरोप लगाया था कि स्कूल का एक टीचर फीस को लेकर उसे परेशान करता था।
बढ़ते आत्महत्या के मामले
बताया जाता है कि स्कूली बच्चों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या हमारे बच्चे इतने अधिक दबाव में हैं कि वे इस तरह का कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं? क्या हमारी शिक्षा प्रणाली इतनी कठोर हो गई है कि बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं? क्या हम अपने बच्चों को पर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि स्कूली बच्चों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें अकादमिक दबाव, सामाजिक दबाव, धमकियां, और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
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