पलामू : पलामू जिले के सरकारी अस्पताल में सब-स्टैंडर्ड दवाओं की आपूर्ति का मामला सामने आया है। ये दवाएं अस्पताल के स्टोर रूम में पड़ी हुई थीं, जिन्हें मरीजों में वितरित नहीं किया गया था। इस मामले में गुजरात की एक कंपनी को दोषी पाया गया है, जो न केवल पलामू, बल्कि कई अन्य जिलों के सरकारी अस्पतालों में दवाएं सप्लाई कर रही थी।
पलामू के सिविल सर्जन ने उठाया कदम
इस मुद्दे पर पलामू के सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह ने 22 जनवरी 2025 को एक पत्र लिखकर ड्रग इंस्पेक्टर से दवाओं की गुणवत्ता की जांच करने को कहा था। इस पत्र के बाद ड्रग इंस्पेक्टर ने 62 प्रकार की दवाओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे। जांच में यह पाया गया कि 21 दवाएं घटिया गुणवत्ता की थीं।
जांच और कार्रवाई की दिशा में कदम
कोलकाता स्थित सेंट्रल लैब से प्राप्त जांच रिपोर्ट के आधार पर, 21 दवाएं मानकों से कम गुणवत्ता की पाई गईं। इसके बाद सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह ने संबंधित एजेंसी से दवाओं को वापस लेने का आदेश दिया और विभाग को इस मामले में सख्त कार्रवाई करने के लिए लिखा।
ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा दवाओं का सैंपल संग्रह
सिविल सर्जन के पत्र के बाद ही ड्रग इंस्पेक्टर ने पलामू के जिला स्टोर रूम और तरहसी के सीएचसी से दवाओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे थे। जांच में यह साफ हो गया कि इन दवाओं की गुणवत्ता मानक के अनुरूप नहीं थी।
सिविल सर्जन की सक्रिय भूमिका
पलामू के सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने जनवरी महीने में ही दवाओं की गुणवत्ता को लेकर आशंका जताई थी और इसकी जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट के बाद कंपनी पर दबाव बनाने के लिए सिविल सर्जन ने दवाओं को वापस लेने का आदेश दिया और मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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