नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया को सोशल मीडिया पर अपने पॉडकास्ट और शो अपलोड करने की अनुमति दे दी। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें यह भी स्पष्ट निर्देश दिया कि वे अपने कार्यक्रम में शालीनता बनाए रखें। यह आदेश यूट्यूब शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में इलाहाबादिया की अभद्र टिप्पणियों के बाद सामने आया, जिसके चलते उनके खिलाफ विवाद खड़ा हो गया था और कई एफआईआर दर्ज की गईं।
रणवीर इलाहाबादिया का यह मामला काफी चर्चा में रहा, जब कॉमेडियन समय रैना के शो पर उनकी टिप्पणियों के कारण विवाद उठ खड़ा हुआ। इस शो के दौरान की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने उन्हें साइबर पुलिस के जांच घेरे में ला खड़ा किया। महाराष्ट्र साइबर पुलिस और मुंबई पुलिस इस पूरे मामले की जांच कर रही हैं और इस बीच इलाहाबादिया को सोशल मीडिया पर अपने पॉडकास्ट प्रसारित करने से पहले कोर्ट से एक महत्वपूर्ण राहत मिली।
कोर्ट की शालीनता के निर्देश पर गंभीरता से विचार
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबादिया की याचिका पर विचार करते हुए उन्हें अपनी सामग्री जारी रखने की अनुमति तो दी, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि वे आगे से अपने शो में शालीनता का पालन करें। कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि यदि भविष्य में इस तरह की टिप्पणियों से किसी को ठेस पहुंचती है, तो संबंधित यूट्यूबर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
विवादास्पद टिप्पणी और उसकी जांच
इलाहाबादिया द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणी पर काफी बवाल मचा था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने खुद स्वीकार किया कि उनके द्वारा शो में किए गए बयान न केवल गलत थे, बल्कि उन्होंने विशिष्ट शब्दों का इस्तेमाल किया, जो पूरी तरह से अनुपयुक्त थे। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने उनके और अन्य के खिलाफ अश्लीलता संबंधी मामले दर्ज किए हैं।
रणवीर इलाहाबादिया ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उन्होंने शो में भाग लेने के दौरान अनुचित शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वह समय रैना के अच्छे दोस्त हैं और शो में केवल उनका समर्थन करने के लिए गए थे, इसलिये उन्होंने इस मामले में कोई शुल्क भी नहीं लिया।
सोशल मीडिया पर बड़ी जिम्मेदारी
यह मामला यह साबित करता है कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और यूट्यूबर्स के लिए अपनी जिम्मेदारी को समझना कितना महत्वपूर्ण है। उनके द्वारा फैलाए गए कंटेंट का व्यापक असर हो सकता है और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को शालीनता और समाजिक जिम्मेदारी के साथ संतुलित रखना चाहिए। इस पूरे मामले में सबसे अहम यह है कि कोर्ट ने यूट्यूबर्स को अपनी आवाज उठाने की स्वतंत्रता दी, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया कि इस स्वतंत्रता का प्रयोग एक जिम्मेदार और संवेदनशील तरीके से किया जाए।