नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के प्रयास के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए रोक लगा दी है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को ‘संवेदनशीलता की पूर्ण कमी’ बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में न्याय करते समय संवेदनशीलता बरतना बेहद जरूरी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च को दिए अपने फैसले में कहा था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप की कोशिश नहीं माना जा सकता है। हाईकोर्ट के इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में महत्वपूर्ण टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के कुछ पैराग्राफ 24, 25 और 26 संवेदनशीलता की पूर्ण कमी दर्शाते हैं। जस्टिस गवई ने कहा कि एक जज द्वारा ऐसे कठोर शब्दों का प्रयोग करना खेदजनक है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल और अटॉर्नी जनरल से इस मामले में सहायता करने का आग्रह किया है। पीड़िता की मां की याचिका को भी इस मामले के साथ जोड़ा गया है।
मामले की गंभीरता
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा है कि न्याय करते समय संवेदनशीलता और सावधानी बरतनी चाहिए। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियों पर भी रोक लगा दी है।
आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे सुनवाई करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि पीड़िता को न्याय मिले। कानूनविदों का मानना है कि यह मामला न्यायपालिका में संवेदनशीलता और नाबालिगों के अधिकारों के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को उजागर करता है।