नई दिल्ली। Syed Shaban Bukhari: दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को एक नया शाही इमाम मिल गया। स्वर्गीय सैयद अहमद बुखारी के निधन के बाद उनके पुत्र सैयद शाबान बुखारी को यह पद सौंपा गया। शाही इमाम का पद पीढ़ी दर पीढ़ी बुखारी परिवार में ही चला आ रहा है। शब-ए-बारात के मुबारक मौके पर शाबान बुखारी की दस्तारबंदी की गई। गौरतलब है कि जामा मस्जिद की स्थापना के बाद पिछले 400 सालों से बुखारी खानदान पर इमामत की जिम्मेदारी है।
Syed Shaban Bukhari: एक परिचय
शाबान बुखारी का पूरा नाम सैयद उसाम शाबान बुखारी है। वह ऐतिहासिक और पवित्र जामा मस्जिद के 14वें इमाम होंगे। उनका जन्म 11 मार्च, 1995 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा एमिट यूनिवर्सिटी से पूरी की, जहां उन्होंने सामाजिक कार्य (सोशल वर्क) में मास्टर डिग्री हासिल की।
वर्ष 2014 में ही उन्हें उनके पिता स्वर्गीय सैयद अहमद बुखारी ने जामा मस्जिद का नायाब इमाम (उप-इमाम) नियुक्त किया था। नायाब इमाम का पद आमतौर पर उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसे भविष्य में शाही इमाम बनने की संभावना होती है। अब पिता के निधन के बाद शाबान को शाही इमाम की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
शाही इमाम की भूमिका
शाही इमाम न केवल जामा मस्जिद के धार्मिक प्रमुख होते हैं, बल्कि दिल्ली के मुस्लिम समुदाय के महत्वपूर्ण नेताओं में से भी एक माने जाते हैं। वे सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर मुस्लिम समुदाय का मार्गदर्शन करते हैं।
शाबान बुखारी को एक पढ़े-लिखे और विनम्र व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। यह उम्मीद की जा रही है कि वे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाएंगे और जामा मस्जिद तथा दिल्ली के मुस्लिम समुदाय का कुशलता से नेतृत्व करेंगे।
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