New Delhi: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा की ओर से दायर उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने हिरासत के दौरान अपने परिवार से टेलीफोन पर बातचीत की अनुमति मांगी थी।
राणा के वकील, पीयूष सचदेवा ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किल एक विदेशी नागरिक हैं और उन्हें अपनी हिरासत के हालात के बारे में अपने परिवार को सूचित करने का मौलिक अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि राणा के परिवारजन उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंतित हैं।
हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राणा की बातचीत के दौरान जांच से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों के लीक होने का खतरा है। एजेंसी ने दलील दी कि मामले की गंभीरता को देखते हुए टेलीफोन पर बातचीत की अनुमति देना जोखिम भरा हो सकता है।
कल आएगा अदालत का आदेश
विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि इस याचिका पर आदेश गुरुवार को सुनाया जाएगा। इससे पहले सोमवार को अदालत ने राणा की याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया था।
तहव्वुर राणा पर गंभीर आतंकवाद के आरोप
तहव्वुर हुसैन राणा, जो कि एक पूर्व सैन्य डॉक्टर हैं, पर भारत में आतंकवाद से जुड़े गंभीर आरोप लगे हैं। उन्हें हाल ही में अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। अदालत में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, राणा एक बड़े आतंकवादी साजिश का हिस्सा बताए जा रहे हैं, जिसकी योजना भारत के कई शहरों में फैली हुई थी और इसके लक्ष्य देश की सीमाओं के पार भी हो सकते थे।
18 दिन की पुलिस रिमांड मंजूर, हर 48 घंटे में मेडिकल जांच के आदेश
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए 18 दिनों की पुलिस हिरासत मंजूर की है। साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राणा की चिकित्सकीय जांच हर 48 घंटे में कराई जाए और उनके स्वास्थ्य से संबंधित सभी अंतरराष्ट्रीय आश्वासनों का पालन किया जाए।
IPC और UAPA के तहत दर्ज हैं कई संगीन आरोप
तहव्वुर राणा पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की विभिन्न धाराओं के तहत साजिश, आतंकवाद, जालसाजी और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे गंभीर आरोप दर्ज हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रत्यर्पण कानूनों के तहत राणा पर केवल उन्हीं अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है जिन्हें प्रत्यर्पण समझौते में अनुमति दी गई है।
यूएपीए की धाराएं लागू, बढ़ सकती है पुलिस हिरासत की अवधि
यूएपीए की धारा 16 और 18 लागू होने के कारण, अदालत ने संकेत दिया कि यह मामला आतंकवाद से जुड़ा होने के कारण आरोपी की पुलिस हिरासत को सामान्य सीआरपीसी की सीमाओं से अधिक समय तक बढ़ाया जा सकता है।