गुरु अपनी मौज में थे। हाथ में चाय की प्याली और सामने की टेबल पर पड़ा दैनिक समाचार पत्र। कमरे में कर्णप्रिय गीत बज रहा था। तू नज्म नज्म सा मेरे होठों पे ठहर जा, मैं ख्वाब-ख्वाब सा तेरी आंखों में जागूं रे …। न चाहते हुए भी दिमाग सबकुछ भूल कर फिल्म का नाम खोजने लगा। थोड़ी देर बाद याद आया- बरेली की बर्फी।
निकोलस बैरेउ के उपन्यास द इन्ग्रेडिएंट्स ऑफ लव पर आधारित यह फिल्म वर्ष 2017 में आई थी। फिल्म का निर्देशन अश्विनी अय्यर तिवारी ने किया था। ढलती उम्र में गुरु की पसंद देखकर दिल सुखद आश्चर्य से भर गया। दरवाजे से अंदर बढ़ते हुए पीछे से आवाज दी। बड़ा रोमांटिक गीत सुन रहे हैं गुरु। आवाज सुनकर गुरु पीछे की तरफ मुड़े। बोले- अरे तुम हो। आओ-आओ। बैठो चाय पिलाता हूं।
ऊपरी मन से अनिच्छा जताई, अरे नहीं, नहीं गुरु। मैं तो ऐसे ही चला आया। परेशान मत होइए। गर्मी के मौसम में चाय पीने का मन नहीं है। गुरु बोले-अगर चाय नहीं पीनी है तो शरबत पी लो। हमारे पास हर समस्या का समाधान है। गुरु की यह बात बेहद पसंद आई। सहमति जताते हुए कहा- हां, गुरु यह तो आप सोलह आने सच कह रहे हैं। समाधान तो है आपके पास, इसी लिए अपनी समस्या लेकर अक्सर चला आता हूं। गुरु उत्तर से भाव-विभोर हो गए। बोले-अरे यार ऐसा कुछ नहीं है, आते हो तो अच्छा लगता है। इसी बहाने कुछ नया-पुराना हो जाता है। माहौल बन गया था। सो बिना देर किए बात शुरू की।
नौकरशाही : मनवा लागे इन कोल्हान
पूछा- गुरु बरेली की बर्फी छोड़िए, ज्योतिष गणना देखकर यह बताइए कि वनांचल में बर्फी कब बंटने वाली है? सुना है नौकरशाही के गलियारे वाले कई ग्राहक मिठाई दुकान के आसपास मंडराने लगे हैं। इशारों में पूछा गया सवाल गुरु ठीक से समझ गए। सो, बिना किसी किन्तु-परन्तु के सीधे जवाब पर आ गए। बोले- मेरा ज्योतिष विज्ञान कहता है कि पिछले महीने शनि ने अपनी चाल बदली है। आने वाले एक माह में इसका असर दिखने लगेगा। राशि के अनुसार अलग-अलग जातक पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
नौकरशाही : बात पर बात बनाम हकीकत
बर्फी किसके हिस्से आएगी? यह तो समय बताएगा, लेकिन काम सबको करना चाहिए। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ अर्थात तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, कर्मफल पर नहीं…। कहने का अर्थ यह है कि जातक के अधिकार में कर्म करना है। वह बर्फी की दुकान खुलने से पहले पूरी तैयारी के साथ कतार में खड़ा हो सकता है। बर्फी कितनी मात्रा में उपलब्ध होगी? कितने ग्राहकों में बंटेगी? यह सब हरि इच्छा पर निर्भर है।
नौकरशाही : गाड़ी पलटी वाली गुगली