Bermo: छुट्टी के डेढ़ घंटे बाद तक बच्चे बाहर नहीं निकले तो परिजन चिंतित हो उठे। जब अभिभावक स्कूल पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सभी बच्चे कक्षा में बंद हैं और कमरे के बाहर ताला लटका है। बच्चों की चीख-पुकार सुनकर परिजन और ग्रामीण भड़क उठे।
घटना की सूचना गोमिया के बीडीओ महादेव कुमार महतो को दी गई। उन्होंने ललपनिया थाना को अलर्ट किया। पुलिस मौके पर पहुंची और ताला तुड़वाकर बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।
मामले के खुलासे पर ग्रामीणों में उबाल
घटना के विरोध में बच्चों के परिजनों और ग्रामीणों ने विद्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई की मांग करते हुए स्कूल में तालाबंदी कर दी।
बीडीओ महतो ने कहा कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।
छात्रों की आपबीती : “चप्पल पहनने पर कमरे में बंद किया गया”
बंद किए गए छात्रों में अरुण कुमार पटेल, दानिश रजा, अजय कुमार, अख्तर रजा, निरंजन करमाली, अहमद रजा, अरमान अंसारी, साहिद अंसारी और योगेश करमाली शामिल थे।
छात्रों ने बताया कि वे चप्पल पहनकर स्कूल आए थे, जिससे प्रधानाध्यापिका मुनी कुमारी नाराज़ हो गईं। उन्होंने सभी बच्चों की चप्पलें उतरवा लीं और एक कमरे में बंद कर दिया।
छुट्टी के बाद शिक्षक व प्रधानाध्यापिका सभी स्कूल छोड़कर चले गए, जबकि बच्चे कमरे में ही बंद रहे।
डायरेक्टर की सफाई, नहीं थमा हंगामा
विद्यालय के डायरेक्टर संजय कुमार को जब अभिभावकों ने सूचना दी तो वे मौके पर पहुंचे। उन्होंने ताला खुलवाया, लेकिन आक्रोशित अभिभावकों ने प्रदर्शन जारी रखा।
संजय कुमार ने कहा, “चप्पल पहनकर आने पर प्रधानाध्यापिका और बच्चों में कहासुनी हुई थी। छुट्टी के समय बच्चों ने जाने से मना किया, इस पर उन्हें डराने के लिए कमरे में बंद किया गया था। सभी बच्चे सुरक्षित हैं।”
समाजसेवियों की प्रतिक्रिया-शिक्षा के नाम पर व्यापार
आदिवासी नेता और समाजसेवी अनिक कुमार हांसदा ने इस घटना को गंभीर बताते हुए प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच और स्कूल को बंद करने की मांग की है।
उन्होंने कहा, “आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा के नाम पर व्यापार किया जा रहा है। ऐसे संस्थानों को चिन्हित कर कार्रवाई होनी चाहिए।”
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