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गुजरात में मस्जिद परिसर की 3 दुकानों को ‘बलपूर्वक’ खाली कराने के बाद तनाव

दुकानों को कानूनी रूप से वापस लेने की प्रक्रिया के तहत लीगल नोटिस दी जानी थी। साथ ही पुलिस को जानकारी दी जानी थी लेकिन इन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। नए साल में गुजरात के राजकोट में बुधवार को दो समुदायों के बीच तनाव व्याप्त हो गया। आरोप लगाया गया है कि कुछ लोगों के एक समूह ने तीन दुकानदारों को बेदखल करने और जबरन उनके सामान को बाहर फेंकने की कोशिश की। खबरों के अनुसार, ये दुकानें नवाब मस्जिद के परिसर में स्थित हैं। दुकानदारों को जबरन बेदखल करने के प्रयास के बाद घटना में शामिल पांच लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई।

60 साल पहले हिंदू व्यापारियों को दी गई थीं किराए पर
पुलिस में की गई शिकायत के अनुसार, दुकानें लगभग 60 साल पहले तीन हिंदू व्यापारियों को किराए पर दी गई थीं। नए साल में कुछ लोगों ने मस्जिद परिसर पहुंच कर इन दुकानों के ताले तोड़ दिए और सामान बाहर फेंक दिया। उनका दावा था कि ये दुकानें गुजरात वक्फ बोर्ड की हैं। जब पूछताछ की गई, तो लोगों ने गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड के 19 दिसंबर, 2024 के लेटरहेड वाले दस्तावेज दिखाए, जिसमें निष्कासन की मंजूरी दी गई थी।

बिना मंजूरी अपने वंशजों को हस्तांतरित करने का आरोप
निष्कासन को मंजूरी वाले कथित पत्र में कहा गया है कि दुकानदारों ने आवश्यक मंजूरी प्राप्त किए बिना अवैध रूप से अपनी किरायेदारी अपने वंशजों को हस्तांतरित कर दी। दुकानों के ट्रस्टी, गुजरात राज्य वक्फ बोर्ड ने तत्काल कब्जे के लिए बकाया टैक्स और 15 साल के लंबित बिजली बिलों का भी हवाला दिया है।

कानूनी प्रक्रिया का नहीं किया गया पालन
शिकायत में इस बात पर भी जोर डाला गया था कि वक्फ बोर्ड के पत्र ने दुकानों को कानूनी रूप से वापस लेने की प्रक्रिया निर्धारित की थी। इसमें किरायेदारों को तीन लीगल नोटिस देना, किराएदारों से बात करना, नया रेंट एग्रीमेंट करना, पुलिस को नोटिस की जानकारी देना और फिर कानूनी कार्रवाई करना शामिल था। हालांकि, शिकायत में उल्लेख किया गया है कि उपरोक्त नियमों का पालन नहीं किया गया था।

कई साल से बंद थीं दुकानें
बेदखली में शामिल फारूक मसानी ने बताया कि ‘गुजरात वक्फ बोर्ड का आदेश मिलने के बाद हमने दुकानों को अपने कब्जे में ले लिया है। दुकानें सालों से बंद हैं और बहुत ही बदतर अवस्था में हैं। मस्जिद को भी नुकसान हो रहा है। हमें जो आदेश मिला है, हमने उसका पालन किया है।

अवैध तरीके से हटाई गई है दुकानें
स्थानीय बीजेपी विधायक दर्शिता शाह ने इस मुद्दे को लेकर राजकोट पुलिस आयुक्त से मुलाकात की और दुकानदारों को अवैध तरीके से हटाने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, ‘घटना के बाद मैं कमिश्नर से मिला। मैंने उनसे जांच शुरू करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो। वक्फ बोर्ड के पत्र में दुकानों को खाली कराने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया का प्रावधान किया गया था, जिसका पालन नहीं किया गया। बेदखली अवैध थी। मैंने आयुक्त से इस कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।

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